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स्तन कैंसर से बचने के लिए 40 की उम्र के बाद जरूर कराएं स्क्रीनिंग, जल्द पहचान से ही होगा सही इलाज, डॉक्टर से जानें 5 जरूरी बातें

हाइलाइट्स

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को कैंसर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए.
सेल्फ एग्जामिनेशन के जरिए भी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है.

How To Prevent Breast Cancer: स्तन कैंसर यानी ब्रेस्ट कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसकी वजह से हर साल बड़ी संख्या में महिलाओं की जान चली जाती है. स्तन कैंसर को बढ़ाने में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक महिलाओं में इस बीमारी के बारे में जागरुकता की कमी है. जानकारी की कमी के कारण अक्सर देरी से निदान हो पाता है. भारत में स्तन कैंसर के बारे में सामाजिक-सांस्कृतिक कारक और गलत धारणाएं बाधाएं पैदा कर सकती हैं. इसे लेकर सही शिक्षा, भय को दूर करने और स्तन स्वास्थ्य के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करने की जरूरत है.

महिलाओं को शिक्षित और जागरूक करके, उन्हें जोखिम कारकों (Risk Factors), लक्षणों, नियमित स्व-परीक्षण और मैमोग्राम के महत्व के बारे में ज्ञान देकर सशक्त बना सकते हैं, जिससे उन्हें अपने जोखिम की पहचान करने और रोकथाम करने में मदद मिल सके. सही जांच से ही ब्रेस्ट कैंसर का सही उपचार हो सकता है. इस बारे डॉ. सुनिता चौहान, कन्सल्टेन्ट, ऑब्स्टेट्रिक्स एवं गायनेकोलॉजिस्ट से जरूरी बातें जान लेते हैं.

डॉक्टर के अनुसार स्तन कैंसर का सही समय पर इलाज करने के लिए प्रारंभिक पहचान जरूरी है. प्रारंभिक पहचान के लिए महिलाओं को स्तन कैंसर के लिए स्वयं-परीक्षण के बारे में सिखाकर अपने स्तन स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाना है. यह उन महिलाओं के लिए और भी महत्वपूर्ण है, जिनके जोखिम कारको में उम्र, पारिवारिक इतिहास, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, जीवनशैली विकल्प आदि हैं. ये सभी फैक्टर स्तन कैंसर की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं.

स्व-परीक्षण से लगाएं पता

स्व-परीक्षण काफी सरल होता है और साथ यह गोपनीयता को बनाए रखने और सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है. जब महिलाओं को स्तन की स्वयं जांच करने की सही विधि के बारे में सिखाया जाता है, तो वे अपने स्तनों के सामान्य स्वरूप और अनुभव के बारे में जागरूक हो जाती हैं और किसी भी बदलाव या असामान्यता को तुरंत पहचान सकती हैं. इस शिक्षा में उन संकेतों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन पर विशेष तौर पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है जैसे कि गांठ, आकार में परिवर्तन, त्वचा पर गड्ढे, निपल का स्राव या उलटा होना या कोई अस्पष्टीकृत स्तन दर्द होना आदि. उन्हें किसी भी बदलाव के मामले में जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. सक्रिय रूप से समय पर चिकित्सा सहायता लेने से संभावित रूप से उन्हे स्तन कैंसर से होने वाले घातक परिणामों से बचाया जा सकता है.

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ये परीक्षण भी हैं आवश्यक

महिलाओं को स्व-परीक्षा के अलावा नियमित क्लीनिकल टेस्ट और मैमोग्राम का भी सहारा लेना चाहिए. इससे शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता लगाने में आसानी होती है. डॉक्टर किसी भी सूक्ष्म अंतर की पहचान कर सकता है जिसे स्व-परीक्षा के दौरान अनदेखा किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर मैमोग्राम से स्तन में बन रहे ट्यूमर और कैल्सीफिकेशन को महसूस होने से पहले ही कैंसर का पता लगा सकता है. मैमोग्राम के द्वारा शारीरिक लक्षण विकसित होने से कई समय पहले संभावित समस्याओं का पता लगा सकते हैं. 40 वर्ष की आयु की महिलाओं को मैमोग्राफी-आधारित स्क्रीनिंग की आवश्यकता होती है. वहीं 40 वर्ष से कम आयु की महलाओं को अपनी सोनोग्राफी करवाना चाहिए.

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स्तन कैंसर का पता करने के लिए बायोप्सी का भी सहारा लिया जा सकता है. स्तन कैंसर का यदि जल्दी पता चल जाए तो इसका सही उपचार अधिक संभव हो जाता है और जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है. टेक्नोलॉजी और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का लाभ उठाकर स्तन कैंसर के प्रति जागरुकता को बढ़ाया जा सकता है. मोबाइल एप्लिकेशन, सोशल मीडिया और ऑनलाइन संसाधन, सूचना प्रसारित करने, विविध पृष्ठभूमि की महिलाओं के साथ जुड़ने और स्तन स्वास्थ्य के बारे में चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम कर सकते हैं.

Tags: Cancer, Health, Lifestyle

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