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हनुमानगढ़ में दलित युवक की हत्या पर क्यों मच रहा बवाल? जानिये अब तक की कहानी Rajasthan News-Hanumangarh News-Why is ruckus over murder of a Dalit youth- know full story

दलित समाज के लोग अभी तक की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच होनी चाहिये अन्यथा वे फिर सड़कों पर उतरेंगे. (फाइल फोटो)

दलित समाज के लोग अभी तक की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच होनी चाहिये अन्यथा वे फिर सड़कों पर उतरेंगे. (फाइल फोटो)

Atrocities on Dalits in Rajasthan: राजस्‍थान में दलितों पर अत्याचार का सिलसिला थम नहीं रहा है. हनुमागनढ़ के रावतसर इलाके में हुई दलित युवक की हत्या के बाद दलित समाज में जबर्दस्त आक्रोश फैला हुआ है.

हनुमानगढ़. राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचार (Atrocities on Dalits) के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला हनुमानगढ़ जिले के रावतसर इलाके में सामने आया है. यहां एक दलित युवक को रास्ते के पुराने विवाद में पीट-पीटकर मौत (Murder) के घाट उतार दिया गया. हालांकि, तीन दिन पहले हुआ यह मामला एकबारगी तो निपटा दिया गया है, लेकिन दलित वर्ग में इसे लेकर खासा आक्रोश बना हुआ है.

बीजेपी एससी-एसटी मोर्चा और भीम आर्मी इसे लेकर आक्रोशित है. उनका आरोप है कि हत्या की वारदात के शिकार हुए युवक ने आरोपियों के खिलाफ पहले से ही मामले दर्ज करवा रखे थे, लेकिन पुलिस ने उसकी सुनवाई नहीं की. इसका नतीजा यह हुआ कि आरोपियों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला. अब पुलिस सांप गुजर जाने के बाद लीक पीटने का काम रही है. पूरा विवाद खेत के रास्ते को लेकर था.

किकरालिया गांव से जुड़ा है मामला

जानकारी के अनुसार, मामला रावतसर थाना इलाके के किकरालिया गांव से जुड़ा हुआ है. वहां 5 जून को दलित युवक विनोद मेघवाल की कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से पिटाई की थी. बाद में विनोद को गंभीर हालत में श्रीगंगानगर इलाज के लिये भर्ती कराया गया था. वहां इलाज के दौरान 7 जून को विनोद की मौत हो गई. विनोद भीम आर्मी से जुड़ा हुआ था. विनोद की मौत से दलित समाज आक्रोशित हो गया और उसने शव उठाने से इनकार कर दिया था. उसके बाद उन्होंने अस्पताल में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था.दलित समाज की मांगें

प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग थी कि रावतसर डीएसपी रणवीर मीणा को निलंबित किया जाए. मृतक के परिवार के किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए. पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये. इसके साथ ही मृतक के खेत के रास्ते को खुलवाया जाए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों से समझाइश करने पूर्व सांसद भरतराम मेघवाल और रावतसर पालिकाध्यक्ष श्यामसुंदर मेघवाल भी चिकित्सालय पहुंचे थे. बाद में पुलिस-प्रशासन ने मांगों पर आश्वासन देकर मामले को निपटाया. इस पर 8 जून को विनोद का शव लिया गया.

अब तक यह हुई कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को राउंडअप कर लिया है, लेकिन दलित समाज के लोग अभी तक कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच होनी चाहिये अन्यथा वे फिर सड़कों पर उतरेंगे.





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