होली से पहले यहां होती है अनोखी पूजा, आसुरी शक्तियों से करता है बचाव, 500 साल पुरानी है परंपरा

निखिल स्वामी/बीकानेर:- बीकानेर अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है. इस शहर में एक ऐसी अनोखी परंपरा है, जिसे आज भी युवा और बुजुर्ग निर्वहन कर रहे हैं. इस परंपरा के बिना होली का कोई भी कार्यक्रम शुरू नहीं होता है. हम होली पर चर्चित थंब पूजन की बात कर रहे हैं. होलाष्टक लगते ही शहर में थंब पूजन शुरू हो गए है और शहर के करीब पांच जगहों पर ये थंब का पूजन होता है. इस थंब पूजन के बाद ही पूरा शहर होलीमय हो जाता है.
इस पूजन के बाद होती है होली की शुरुआत
शहर निवासी मदनगोपाल व्यास ने लोकल 18 को बताया कि होलाष्टक लगते ही थंब पूजन होता है और इसके बाद ही होली के कार्यक्रम की शुरुआत होती है. यह परंपरा रियासतकाल से चली आ रही है. यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है. यह थंब लकड़ी का बना होता है, जिसमें देवताओं का वास होता है. इसे क्षेत्रपाल भैरू के नाम से जानते हैं. यह थंब करीब 10 से 12 फुट का होता है. पूरे शहर में पांच जगह थंब पूजन होता है. इनमें मरू नायक चौक, ओझाओ के चौक, किकाणी व्यासों के चौक, लालानी व्यासों के चौक, सुनारो के मोहल्ले में होता है.
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आसुरी शक्तियों से करता है बचाव
मदनगोपाल व्यास ने Local 18 को आगे बताया कि इन आठ दिनों में आसुरी शक्तियों का प्रकोप ज्यादा होता है. इससे बचने के लिए इस थंब की पूजा की जाती है, जिसमें एक घंटे का समय लगता है और वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा करने के बाद चौक के बीच में इसे गाड़ा जाता है. इस थंब के चारों दिशाओं में भगवान गणेश, विष्णु, नरसिंह आदि देवताओं का वास होता है और इनकी पूजा की जाती है. होलास्टक में आसुरी शक्तियां वह दुष्ट आत्माओं का प्रकोप हो जाता है. इनसे बचने के लिए थंब पूजा की जाती है, ताकि इन दुष्ट आत्माओं से प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा हो और शांति बनी रहे. वे बताते है कि यह थंब कवच के रूप में हमारी सुरक्षा करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 13:04 IST
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