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112 साल पुराना नीम कॉरिडोर! अंग्रेजों ने युद्ध के लिए लगाया था जंगल, अब बना राजस्थान का ‘ऑक्सीजन टनल’

Last Updated:October 17, 2025, 20:11 IST

112 year old Neem Corridor : राजस्थान के सुमेरपुर से जवाई बांध तक फैला 8 किलोमीटर लंबा नीम कॉरिडोर आज भी अपनी हरियाली से लोगों को सुकून दे रहा है. 112 साल पहले अंग्रेजों ने सैनिकों को धूप से बचाने के लिए 960 नीम के पेड़ लगाए थे. यह ऐतिहासिक कॉरिडोर आज भी वातावरण को शुद्ध कर रहा है और तापमान में 5 डिग्री तक कमी लाता है.

पाली : राजस्थान का एक ऐसा नीम कॉरिडोर जिसको अंग्रेजों ने बनाया और वह भी इसलिए कि युद्ध के समय जब पैदल-पैदल जवाई बांध रेलवे तक जाना पडे़ तो इन पौधो की छाया उनको मिल सके. साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी इस नीम कॉरिडोर का अहम योगदान है. सुमेरपुर से जवाई बांध के बीच 8 किलोमीटर का यह पूरा रास्ता हरा-भरा है और 112 साल पहले अंग्रेजो ने इसको बनाया था और एक साथ 960 पौधे लगाए थे क्योंकि यहां से सेना युद्ध में जाने के लिए पैदल जवाई बांध रेलवे स्टेशन तक जाती थी, उसके बाद ट्रेन से आगे का सफर तय करते थे. उस समय रोड के किनारे पौधें नहीं थे. लेकिन अंग्रेजों ने अपनी दूरदर्शी सोच के साथ रोड के दोनों तरफ करीब 960 पौधे लगाए थे. जिससे आज यह मार्ग हरियाली की चादर ओढ़े नजर आता है. कस्बे के कृषि मंडी गेट नंबर 2 से लेकर जवाई बांध तक करीब 8 किमी के रूट पर सड़क के दोनों तरफ पेड़ लगे हुए हैं.

112 साल पहले अंग्रेजों ने नीम कॉरिडोर को बनाया था जिसमें 960 पौधे लगाए थे. यह तापमान में भी 5 डिग्री तक कम करने का काम भी करता है. सुमेरपुर से जवाई बांध के बीच करीब 8 किलोमीटर मार्ग पर 960 नीम के पौधों से बना कॉरिडोर आज भी गर्मी में लोगों को सुकून दे रहा है. इस कॉरिडोर को अंग्रेजों ने 1910 में तैयार करवाया था, उस दौरान नीम के पौधे लगाए गए. अब इस मार्ग पर तापमान सामान्य से 5 डिग्री तक कम रहता है.

इतने पेड़ हैं कि दिन में भी जलानी पड़ती है हैडलाइटपूरा रास्ता नीम के पेड़ों से गुफा की तरह बन गया है और कई बार तो वाहन चालकों को दिन में भी वाहनों की हैडलाइट जलानी पड़ती है. जवाई बांध रेलवे स्टेशन से सुमेरपुर रोड तक यह नीम कॉरिडोर बना है. अगर एक लीटर ऑक्सीजन की कीमत 20 रुपए प्रति लीटर भी माने तो हमें प्रतिदिन ये पेड़ 38 लाख 40 हजार रुपए के बराबर ऑक्सीजन दे रहे हैं. रिसर्च के अनुसार एक वयस्क नीम का पेड़ रोजाना करीब 230 लीटर ऑक्सीजन देता है. कॉरिडोर में 960 पेड़ हैं. प्रतिदिन एक पेड़ 200 लीटर ऑक्सीजन भी देता है तो रोजाना औसतन 1 लाख 92 हजार लीटर ऑक्सीजन दे रहे हैं.

इसलिए लगाए थे अंग्रेजो ने नीम के पौधे सुमेरपुर-जवाई बांध रोड के दोनों तरफ यह नीम कॉरिडोर बना हुआ है. वर्ष 1910 में यहां अंग्रेजों ने ये नीम के पौधे लगवाए थे. उस समय अंग्रेजों की फौजें शिवगंज के छावणी क्षेत्र में रहती थी. यहां से युद्ध के लिए पैदल जवाई बांध रेलवे स्टेशन तक जाती थी, उसके बाद ट्रेन से आगे का सफर तय करते थे. उस समय रोड के किनारे पौधे नहीं थे.

Rupesh Kumar Jaiswal

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें

First Published :

October 17, 2025, 20:11 IST

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112 साल पुराना नीम कॉरिडोर, अंग्रेजों की देन बनी ‘ऑक्सीजन टनल’

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