12 जिलों के पंचायत राज चुनाव पर छाये संशय के बादल, गेंद आयोग के पाले में Rajasthan News- Jaipur News- Uncontrollable Corona- clouds of suspicion over the panchayat raj elections in 12 districts


पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव टालने का अनुरोध किया है.
Rajasthan Panchayat Raj Election: कोरोना वायरस के कारण एक बार फिर प्रदेश के 12 जिलों में होने वाले पंचायत राज चुनावों पर संकट के बादल छा गये हैं. इस संबंध में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) का बयान आने के बाद अब गेंद राज्य निर्वाचन आयाेग के पाले में आ गई है.
दरअसल, गहलोत सरकार की मंशा है कि राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव टाल दें. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव टालने का अनुरोध किया है. गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चुनावी रैलियों में हम अपने आप को रोक नहीं पाते. यह हमारी मजबूरी है. इससे हम लोगों में मैसेज नहीं दे पाते. लोग उल्टे हमसे सवाल करते हैं. कहते हैं- खुद रैलियां कर रहे और हम पर बंदिशें. इसलिए आयोग को 12 जिलों में होने जा रहे हैं पंचायतीराज चुनाव टालना चाहिए.

अप्रैल महीने में चुनाव प्रस्तावित थेप्रदेश के 12 जिलों में अप्रैल महीने में चुनाव प्रस्तावित थे. लेकिन इस बीच गहलोत सरकार ने 17 नगरपालिकाओं की अधिसूचना जारी कर दी. सरकार के इस निर्णय से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्यक्रम गड़बड़ा गया. इस पर आयोग ने चुनाव कार्यक्रम 3 महीने के लिए टाल दिये. राज्य निर्वाचन आयोग ने जून-जुलाई में चुनाव कराने की योजना बना रखी है. अब आयोग को निर्णय लेना है कि वह जून-जुलाई में चुनाव करवाएगा अथवा नहीं. डोटासरा के बयान पर राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
प्रशासक संभाल रहे हैं जिम्मेदारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने गत वर्ष पहले 21 जिलों में चुनाव संपन्न करवा लिए थे. राज्य सरकार द्वारा नई नगर पालिकाओं के गठन की मंजूरी के चलते आयोग ने शेष बचे जिलों में चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिया था. फिलहाल इन 12 जिलों में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. क्योंकि चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया. जिला प्रमुख से लेकर प्रधान का कार्यकाल समाप्त हो गया है. करीब 1 वर्ष से प्रशासक की कामकाज संभाल रहे हैं.
कमान प्रशासकों के हाथ में है
जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अभाव में सारी शक्तियां सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों के हाथ में है. अब ऐसा लगता है कि इन 12 जिलों की कमान प्रशासकों के हाथ में ही रहेगी. आयोग यदि राज्य सरकार की मांग को खारिज कर चुनाव करवा देता है तो लगभग 2 वर्ष का कार्यकाल जनप्रतिनिधियों के हाथ में रहेगा.
इन जिलों में होने हैं चुनाव
प्रदेश के अलवर, दौसा, बारां, भरतपुर, धौलपुर, जयपुर, जोधपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, सिरोही और श्रीगंगानगर में पंचायत राज के चुनाव होने हैं.