12 साल इलाज, अनगिनत चुनौतियां! फिर भी बनीं बैंक की असिस्टेंट मैनेजर, पढ़िए सोनल जैन की इंस्पायरिंग स्टोरी

देवेंद्र सेन/कोटा. हालात चाहे कितने भी विकट क्यों न हों, अगर हिम्मत और उम्मीद को थामे रखो तो जीत जरूर मिलती है. यह साबित कर दिखाया है मध्य प्रदेश के सागर जिले की सोनल जैन ने, जो आज राजस्थान ग्रामीण बैंक की आरकेपुरम शाखा, कोटा में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. मात्र सात साल की उम्र में एक भयावह हादसे ने उनका एक हाथ पूरी तरह छीन लिया और दूसरे हाथ का पंजा भी बुरी तरह झुलस गया, लेकिन सोनल ने कभी हार नहीं मानी.
सोनल सिर्फ सात साल की थीं जब 11 केवी हाई टेंशन लाइन की चपेट में आ गई. करंट का तेज झटका इतना भयानक था कि उनका दायां हाथ पूरी तरह जलकर खत्म हो गया और बायां पंजा गंभीर रूप से झुलस गया. लंबे इलाज के बाद बायां पंजा तो किसी तरह ठीक हो गया, लेकिन पूरा एक हाथ हमेशा के लिए चला गया. ठीक होने में उन्हें पूरे 12 साल लग गए. उस दौरान जहां कई बार मौत के मुंह से लौटना पड़ा, वहीं समाज की नजरों का दर्द भी सहना पड़ा, लेकिन सोनल ने ठान लिया कि यह हादसा उनकी जिंदगी की पहचान नहीं बनेगा.
पढ़ाई बनी सबसे बड़ी ताकत
सोनल ने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया. स्कूली शिक्षा सागर में पूरी की और इसके बाद ग्रेजुएशन इंदौर से किया. ग्रेजुएशन करने के बाद एमबीए की डिग्री हासिल की. फिर बैंकिंग की प्रतियोगी परीक्षाओं में जी-जान लगा दी. मेहनत रंग लाई और 2014 में वे राजस्थान ग्रामीण बैंक में चयनित हो गई. पहली पोस्टिंग बांसवाड़ा रही और 2015 में ट्रांसफर लेकर कोटा आ गई.
काम करने का है अनोखा अंदाज
बैंक में सोनल का काम देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि उनके पास एक हाथ नहीं है. एक हाथ से माउस चलाती हैं और मुंह में पेन दबाकर की-बोर्ड के बटन दबाती हैं. शुरुआत में यह तरीका अजीब लगा, लेकिन धीरे-धीरे यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गया. आज उनके काम का आउटपुट कई बार दो हाथ वाले सहकर्मियों से भी ज्यादा होता है. ग्राहक भी उनकी तेजी और मुस्कान के कायल हैं.
परिवार है सबसे मजबूत सहारा
सोनल बार-बार कहती हैं कि मैं जो कुछ भी हूं, अपने परिवार की वजह से हूं. मां किरण जैन ने हर पल हौसला अफजाई की. पिता सुमित कुमार जैन व्यवसायी हैं. तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सोनल को सभी ने हमेशा ढाल बनकर सहारा दिया. आज सोनल विवाहित हैं और ढाई साल के नन्हे बेटे की मां भी हैं. पति और ससुराल वाले भी हर कदम पर चट्टान की तरह साथ खड़े हैं. सोनल जैन की जिंदगी एक जीता-जागता संदेश है कि कमी शरीर में नहीं, सोच में होती है.
उन्होंने कभी अपने हादसे को कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि उसे ताकत बना लिया. आज कोटा ही नहीं, पूरे राजस्थान में लोग उनकी कहानी सुनकर प्रेरणा लेते हैं. सोनल मुस्कुराते हुए कहती हैं कि उम्मीद मत छोड़ो, जीवन हर मोड़ पर नया मौका देता है. बस हिम्मत से उसे थामना आना चाहिए.



