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20 रुपये तोला था सोने का दम, तब 3 हजार रुपये फीस लेती थी ये सिंगर, कोठे पर सीखा था संगीत, कभी गांधीजी ने भी मांगी थी मदद

मुंबई. गायकी की दुनिया मानव सभ्यता के विकास के साथ ही फलती-फूलती रही है. समय बदला, तरीके बदले और माध्यमों के साथ गायकी ने नए-नए रूप अख्तियार किए. करीब 100 साल पहले गायकी की दुनिया में रिकॉर्डिंग का चलन बढ़ा था.

भारत में एक ऐसी सुपरस्टार सिंगर भी रहीं हैं, जिन्हों अपनी सुरीली आवाज से पहली रिकॉर्डिंग टेप में कैद कराई थी. साल 1903 में देश का पहला रिकॉर्ड गाना रिलीज हुआ था. अब 111 साल बाद रिकॉर्डिंग की दुनिया विकास के अपने चरम पर है. ये रिकॉर्डिंग तत्कालीन सुपरस्टार सिंगर गौहर जान की आवाज से नवाजी गई थी.

गौहर जान, गायकी की दुनिया का ऐसा चमकता सितारा जिसके निधन के 96 साल बाद भी उनकी आवाज की झनकार लोगों के कानों में गूंजती रहती है. गौहर जान गायकी की दुनिया की इतनी बड़ी सुपरस्टार रही हैं, कि जब सोना 20 रुपये तोला हुआ करता था, तब गौहर जान 3 हजार रुपये अपने शो की फीस लिया करती थीं. गौहर जान जहां भी जातीं सोने-चांदी की बरसात करा देतीं.

गौहर की आवाज में ऐसा जादू था, कि बड़े-बड़े राजा महराजा उनके दीवाने हो जाते. खास बात ये है कि गौहर जान ने संगीत की तालीम कोठे में ली और यहीं रियाज कर अपनी आवाज में धार चमकाई. इसी आवाज ने गौहर जान को बॉलीवुड की पहली महिला करोड़पति बना दिया. गौहर जान इकलौती ऐसी कलाकार रहीं हैं, जिससे मदद के लिए राष्ट्रपति महात्मा गांधी भी उनके पास पहुंचे थे.

देश का पहला गाना रिकॉर्ड किया और ग्रामोफोन क्वीन कहलाईं
18 साल में 600 से ज्यादा गानों को रिकॉर्ड करने वाली गौहर जान का जन्म 26 जून 1873 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ शहर में हुआ था. गौहर के पिता आर्मेनिया देश के रहने वाले थे. गौहर की मां का नाम भी विक्टोरिया था. गौहर के पिता ने उनकी मां का साथ छोड़ा तो मां ने खुर्शीद नाम के मुस्लिम व्यक्ति से शादी रचा ली. गौहर की मां कोठे पर महफिल सजाया करती थीं. यहां रोजाना शाम को गाना बजाना और आराम का माहौल रहता. अपनी मां के साथ कोठे पर ही गौहर जान की संगीत की तालीम शुरू हो गई. बचपन से ही सुरों की मल्लिका होने के कारण गौहर की मां ने उन्हें देशभर के बेहतरीन संगीत शिक्षकों से उनकी तालीम कराई.

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कोठे से तालीम लेकर जब गौहर जान ने अपनी महफिल सजाना शुरू किया तो उनकी आवाज का जादू पूरे देश में फैल गया.

कोठे से उठीं और बन गईं देश की पहली करोड़पति सिंगर
कोठे से तालीम लेकर जब गौहर जान ने अपनी महफिल सजाना शुरू किया तो उनकी आवाज का जादू पूरे देश में फैल गया. बड़े-बड़े राजा महाराजा गौहर की महफिल में आते और उनकी आवाज पर फिदा होकर सोने-चांदी की बरसात कर देते. जब गौहर 14 साल की थीं तो कोलकाता में एक महफिल में गा रहीं थीं. यहां दरभंगा के महाराज भी मौजूद थे. गौहर की गायकी पर फिदा होकर दरभंगा के महाराज ने जमकर पैसा लुटाया. देखते ही देखते गौहर खान संगीत की दुनिया की सुपरस्टार बन गईं. गौहर खान ने हर महफिल के लिए 3 हजार रुपयों की फीस तय कर दी. ये वो दौर था जब सोने के दाम 20 रुपये प्रति तोला हुआ करते थे.

ग्रामोफोन को पहली आवाज देने वाली सिंगर बनीं गौहर जान

साल 1903 में गौहर जान की आवाज को पहली बार किसी ग्रामोफोन पर रिकॉर्ड किया गया. इससे पहले तक आम लोगों को गौहर खान की आवाज सुनने का नसीब नहीं मिला करता था. गौहर जान ने इस रिकॉर्डिंग में आम लोगों को अपनी आवाज की धमक सुनाई और दीवानगी की सारी हदें पार करा दीं. गौहर जान की रिकॉर्डिंग मार्केट में आते ही लोगों ने इसकी डिमांड बढ़ा दी. इसके बाद 1902 से लेकर 1920 तक गौहर जान ने 600 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज से नवाजा. इन गानों में कई भाषाओं के गाने शामिल रहे.

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गौहर के पिता आर्मेनिया देश के रहने वाले थे. गौहर की मां का नाम भी विक्टोरिया था.

1930 में हमेशा के लिए गुम हो गई गौहर की आवाज

गौहर जान भारत की पहली सिंगर थीं जो करोड़पति बनीं थीं. गौहर जान उस दौर में देश की सबसे अमीर लोगों में गिनी जाने लगीं थीं. इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने भी देश की आजादी की लड़ाई में गौहर जान से खास मदद भी मांगी थी. साल 1920 में महात्मा गांधी ने स्वराज आंदोलन की शुरुआत की थी. इस आंदोलन के लिए महात्मा गांधी ने पूरे देश की तवायफों से मदद मांगी थी. गौहर जान का निधन 7 जनवरी 1930 को हो गया था. लेकिन आज भी गौहर जान लोगों के जहन में जिंदा हैं.

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