2300 पंचायतों में शून्य मंजूरी, पहली सीढ़ी पर ही अटके गरीबों के 2 लाख आवास
जयपुर. वर्ष 2022 तक गांवों में सभी बेघरों को आवास देने की प्रधानमंत्री आवास योजना— ग्रामीण प्रदेश में शायद ही तय समय में सिरे चढ़ पाएगी। मौजूदा वित्तीय वर्ष में मई माह में ही राज्य में 3.97 लाख का आवास लक्ष्य तय होने के छह माह बाद भी हालात ऐसे हैं कि 2 लाख से अधिक लाभार्थियों के घर को सरकारी मंजूरी की पहली सीढी ही नहीं पार कर पाए हैं।
अधिक बुरी स्थिति दो हजार से अधिक उन पंचायतों में है, जहां छह महीने में एक भी स्वीकृति जारी नहीं हुई है। सर्वाधिक मंजूरियां बकाया रखने वाले जिलों में उदयपुर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, झालावाड़ और टोंक जिले हैं। विभाग ने इन लक्ष्यों में से शत—प्रतिशत स्वीकृति पूरी करने के लिए प्रशासन गांवों के संग अभियान को चुना था। लेकिन अभियान के दो माह बीतने के बाद भी करीब 1.75 लाख को ही महज शुरुआती मंजूरी मिल पाई है। पिछले दिनों ग्रामीण विकास की प्रमुख सचिव अपर्णा अरोड़ा ने जब जिलों की समीक्षा की तो यह हकीकत सामने आई है।
1 माह बाद भी 1 लाख से ज्यादा अधूरे
बकाया आवासों की बात करें तो आज भी 1.22 लाख से अधिक उन लोगों को घर अधूरे ही हैं, जिनको बीते करीब छह वर्षों में मंजूरी मिली थी। जिलों की चाल का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि महीने भर पहले 27 अक्टूबर को भी अधूरे आवास का आंकड़ा 1.29 लाख था। जबकि सरकार ने यह अधूरे आवास पूरे करने के लिए भी प्रशासन गांवों के संग अभियान अवधि को चुना है।
सर्वाधिक लंबित मंजूरी वाले जिले
जिला— बकाया मंजूरी
उदयपुर— 30711
बाड़मेेर— 20692
बांसवाड़ा— 15030
झालावाड़— 11899
टोंक— 11766
(25 अक्टूबर तक के आंकड़े)
शून्य मंजूरी वाली ग्राम पंचायतें
जिला— ग्राम पंचायतों की संख्या
उदयपुर— 497
बाड़मेर— 251
जयपुर— 137
प्रतापगढ़— 135
जोधपुर— 131