Rajasthan

26% of the states mango is produced in Banswara, Tau Te Hurricane caused heavy damage

आकाश सेठिया, बांसवाड़ा. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 30 से ज्यादा प्रकार के आम की फसलें किस्म पैदा होती है, इनमें लंगड़ा, दशहरी, तोतापुरी, केसर, मुंबई ग्रीन, मल्लिका, चौसा और कलमी शामिल हैं. पूरे प्रदेश में जितनी आम की फसल पैदा होती है उसका 26% आम अकेले बांसवाड़ा में पैदा होता है. यहां का आम दिल्ली-एनसीआर की मंडियों में बहुत लोकप्रिय है. बीते दिनों ताऊ ते तूफान आने के बाद किसानों की स्थिति बिगड़ गई है. यह तो समय से पूर्व हुई बारिश ने आम की फसल को खराब किया. आंधी तूफान के कारण में आम पेड़ों से गिर गए. बांंसवाड़ा में ही 15 से 20 ℅ फीसदी का नुकसान हुआ है. बता दें कि लॉकडाउन लगा है, इस कारण यहां का आम बाहर नहीं जा पा रहा. इसलिए किसानों के सामने एक बड़ी समस्या आ गई कि वे फसल को कैसे और कहां पर बेचे. राजस्थान का दक्षिणाचंल बांसवाड़ा अपने बेनज़ीर शिल्प-स्थापत्य और अनूठी परंपराओं के चिरंतन काल से जाना-पहचाना जाता है. परंतु गर्मियों की ऋतु में आने वाले फलों के राजा ‘आम’ की चर्चा हो तो बात कुछ ‘खास’ ही हो जाती है. वागड़ गंगा माही से सरसब्ज बांसवाड़ा जिला फलों के उत्पादन के लिए भी सर्वथा उपयुक्त है और यहीं वजह है कि यहां पर आम की कुल 46 प्रजातियों की हरसाल बंपर पैदावार होती है और इनकी पहुंच देशभर में हैं. इन दिनों इन सभी प्रजातियों के आम बाजार में भरपूर उपलब्ध है, और वागड़वासी इसके अमृतमयी रस का लुत्फ उठा रहे हैं.

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बांसवाड़ा में कई किस्म के आमों की पैदावार होती है. फोटो- कमलेश शर्मा

देसी रसीले आम की भी 18 प्रजातियांदेखा जाए तो बांसवाड़ा जिले में परंपरागत रूप से पैदा होने वाली देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों के साथ देशभर में पाए जाने वाली उन्नत किस्म की 28 अन्य प्रजातियों का भी उत्पादन होता है. जिले में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बोरवट (बांसवाड़ा) पर भी बड़े क्षेत्र में मातृ वृक्ष बगीचे स्थापित हैं जिसमें देशी व उन्नत विभिन्न किस्म की कुल 46 प्रजातियों की आम किस्मों का संकलन है. यहां पर आम के ग्राॅफ्टेड पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाये जाते हैं. इसके साथ ही उद्यान विभाग के अधीन गढ़ी कस्बे में ‘राजहंस नर्सरी’ भी स्थापित है. जहां से विभिन्न उन्नत किस्मों के आम के पौधे किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये जाते हैं. इन प्रजातियों का होता है बड़े पैमाने पर उत्पादन जिले के विभिन्न बगीचों में आम की किशन भोग, बोम्बे ग्रीन, बोम्बई, केसर, राजस्थान केसर, फजली, मूलागो, बैगनपाली, जम्बो केसर गुजरात, स्वर्ण रेखा, बंगलौरा, नीलम, चौसा, दशहरी, मनकुर्द, वनराज, हिमसागर, जरदालु, अल्फांजो, बजरंग, राजभोग, मल्लिका, लंगड़ा, आम्रपाली, फेरनाड़ी, तोतापूरी, रामकेला आदि 28 प्रजातियों का तो उत्पादन होता ही है, साथ ही  देसी रसीले आम की 18 प्रजातियों यथा टीमुरवा, आंगनवाला, देवरी के पास वाला, कसलवाला, कुआवाला, आमड़ी, काकरवाला, लाडुआ, हाडली, अनूप, कनेरिया, पीपलवाला, धोलिया, बारामासी, बनेसरा, सागवा, कालिया, मकास आदि प्रजातियों का भी उत्पादन होता है। सबसे खास बात है कि आम की 18 स्थानीय प्रजातियां रेशेदार है और इनका उत्पादन सिर्फ दक्षिण राजस्थान में ही होता है.
जिले में फलोत्पादन का 86 प्रतिशत सिर्फ आम विभागीय आंकड़ों को देखें तो उद्यानिकी फसलों की दृष्टि से बांसवाड़ा जिला धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. जिले में 6 हजार 316 हेक्टेयर क्षेत्र में फल एवं सब्जियों का उत्पादन होता है. जिलेभर में फलों का कुल उत्पादन 45 हजार 443 मीट्रिक टन होता है, जिसमें आम, आवंला, नींबू, अमरूद, पपीता, अनार, चीकू तथा अन्य है. आम उत्पादन के क्षेत्र को देखें तो जिले के कुल फल उत्पादन क्षेत्र 3 हजार 480 हेक्टेयर में से 3 हजार 115 हेक्टेयर में आम का उत्पादन होता है जो कि कुल फलोत्पादन क्षेत्र का 90 प्रतिशत है. इसी प्रकार फलों के कुल 45 हजार 443 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले सिर्फ आम का उत्पादन 39 हजार 120 मीट्रिक टन है जो कुल फलोत्पादन का 86 प्रतिशत है.

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