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कान्स में छाईं 3 शॉर्ट फिल्में, दिल के जज्बातों को छूने में रहीं कामयाब, देती हैं इंसानियत का पैगाम

Last Updated:May 19, 2025, 22:21 IST

फिल्म लंबी हो या नहीं, उसकी कहानी असरदार होनी चाहिए. ऐसी ही हैं वो तीन शॉर्ट फिल्में, जिन्हें कान्स 2025 में दिखाया गया. ये शॉर्ट फिल्में इंसानी और समाजिक संवेदनाओं को बयां करती हैं.कान्स में छाईं 3 शॉर्ट फिल्में, दिल के जज्बातों को छूने में रहीं कामयाब

कान्स में भारतीय फिल्मों की हुई सराहना.

हाइलाइट्स

एराम फरीदी की तीन शॉर्ट फिल्में कान्स 2025 में सराही गईं.Fedora’s Wrinkles, Naina और Meet Mr. Chang संवेदनाओं को दर्शाती हैं.तीनों फिल्में समाज की संवेदनाओं और इंसानियत का पैगाम देती हैं.

नई दिल्ली: कान्स 2025 के ‘मार्के दु फिल्म’ में भारतीय फिल्ममेकर एराम फरीदी द्वारा प्रस्तुत तीन शॉर्ट फिल्मों का कलेक्शन- Fedora’s Wrinkles, Naina और Meet Mr. Chang — सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी संवेदनाओं के रूप में बयां करता है. यह कोई ट्रेडिशनल स्टोरी नहीं, बल्कि एक शॉर्ट फिल्मों का कलेक्शन है, जिसमें तीन अलग-अलग कहानियां जीवन की संवेदना से जुड़ी हैं.

दुनियाभर के लोगों ने इन शॉर्ट फिल्मों सराहा. Fedora’s Wrinkles का निर्देशन अश्विन कौशल ने किया है. यह कहानी Fedora Gomes नाम की एक बढ़ी महिला की है, जो अपने अतीत और सामाजिक पहचान से जूझती है. सुष्मिता मुखर्जी ने इस भूमिका को बेहद सजीवता से निभाया है, और उनके चेहरे की हर झुर्री मानो एक बीते युग की कहानी कहती है. अली असगर और मनीष वधवा ने सपोर्टिंग रोल में संजीदगी लाई है.

जीवन को बयां करती शॉर्ट फिल्में‘Naina’ सुमन गुहा द्वारा निर्देशित, एक दिव्यांग लड़की की कहानी है जो अपनी अंदरूनी रोशनी से बाहरी अंधकार को चुनौती देती है. हीरा सोहल ने इस रोल में सहजता और मार्मिकता के साथ जीवन डाला है. ‘Meet Mr. Chang’ एक बार फिर अश्विन कौशल की ही प्रस्तुति है. यह फिल्म भारत में रह रहे एक चीनी मूल के व्यक्ति की कहानी कहती है, जिसे महामारी के दौरान नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है. चिएन हो लियाओ ने मिस्टर चांग की भूमिका को बेहद शांत, गहरे और असरदार तरीके से निभाया है. यह फिल्म बिना शोर किए करुणा और इंसानियत का पैगाम देती है.

अनूठी कहानियों का कलेक्शनतीनों फिल्मों को एक साथ प्रस्तुत करना एराम फरीदी की संवेदनशील नजरिये और सामाजिक जिम्मेदारी को बयां करती है. उन्होंने उन कहानियों को आवाज दी है जो अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं. यह कलेक्शन दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है. शॉर्ट फिल्म की गति कहीं-कहीं थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन यह 3 रेटिंग की हकदार है. इसकी सच्चाई, सरलता गहरे एहसासों का आभास कराती है.

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