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300 servants are always deployed in the service of shrinath ji – News18 हिंदी

रिपोर्ट- निशा राठौड़
उदयपुर. उदयपुर में स्थित श्रीनाथजी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. इनके भक्त दुनियाभर में फैले हैं और सालभर यहां पूरे देश विदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में दर्शन की उत्तम व्यवस्था है. किसी भी भक्त को कभी कोई परेशानी नहीं होती. सब को श्रीनाथजी के दर्शन आसानी से हो जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस व्यवस्था को इतना अच्छा कैसे और किसने बनाया. इस मैनेजमेंट का श्रेय किसे जाता है. जानिए इस रिपोर्ट में.

श्रीनाथजी का ये मंदिर 400 साल पुराना है. ये उदयपुर के नाथद्वारा में स्थित है. इस के मंदिर को मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा राज सिंह ने बनवाया था. तभी से भगवान की सेवा होती आ रही है. यहां सालभर भक्तों का मेला लगा रहता है. दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. प्रभु श्रीनाथ के प्रति लोगों की खास आस्था देखी जाती है.

300 सेवक तैनात
मंदिर की व्यवस्था ऐसी है जिसकी सभी तारीफ करते हैं. हर भक्त को आसानी से यहां दर्शन होते हैं. मंदिर की साफ सफाई व्यवस्था भी उत्तम है. इसका श्रेय जाता है यहां की मंदिर समिति प्रबंधन को. उसने मंदिर में सेवकों की बड़ी टीम तैनात कर रखी है. एक बार में 300 से ज्यादा सेवक रोजाना यहां तैनात रहते हैं. भगवान के लिए अलग-अलग विभागों में अलग-अलग सेवकों को रखा गया है. ये सेवक मंदिर के गर्भगृह से लेकर भक्तों को यहां तक लाने में हर तरह की मदद करते हैं.

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सरकार की तरह मंदिर में भी विभाग
मंदिर में पूजा, भोग, फूल, घी, पान, सुरक्षा सभी के लिए अलग अलग विभाग बनाए हुए हैं. इन सभी में हर समय समय सेवक तैयार रहते हैं. श्री नाथजी में करीब सैकड़ों सेवक हैं जो प्रत्यक्ष रूप से भगवान की सेवा में 24 घंटे तैनात रहते हैं.

जानिए श्रीनाथ जी की दिनचर्या
श्रीनाथजी के दर्शन (दिनचर्या) को दिन के आठ भागों में बाँटा गया है. इन सभी भागों को अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है, जिन्हें – मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उथापन, भोग, आरती और शयन नाम से बुलाया जाता है. इन सभी दर्शनों में भगवान श्रीनाथजी को हर बार अलग -अलग रूप में तैयार किया जाता है.भगवान श्रीनाथजी की दिनचर्या भी एक इंसान की तरह है. सुबह जल्दी उठाने से लेकर नहलाने, भोजन कराने, आराम कराने और सुलाने का कार्य मंदिर के पुजारी और सेवक करते हैं. श्रीनाथजी भगवान के भोजन के समय चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को भोग कहा जाता है.

Tags: Live news rajasthan, Local18, Rajasthan Tourism Department

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