भुजिया-नगरी के 4 इंजीनियरों ने बनाई अनोखी बॉलिंग मशीन, बूमराह और पांड्या की स्पीड में फेंकती है बॉल

बीकानेर. क्रिकेट और अन्य खेलों के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. अब खिलाड़ियों को स्पिन और तेज गेंदबाजी की प्रैक्टिस के लिए किसी गेंदबाज की जरूरत नहीं होगी. बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ बीकानेर (ईसीबी) के छात्रों ने एक अनोखी बॉलिंग मशीन तैयार की है जो क्रिकेट की दुनिया में क्रांति लाने की क्षमता रखती है.सुनने में भले अजीब लग रहा हो लेकिन यह सच है कि अब बैट्समैन को बॉल की स्पिन और तेज गेंदबाजी की प्रैक्टिस अब एक मशीन करवाएगी.
इस मशीन से न सिर्फ अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद बाहर निकलेगी, बल्कि उस गेंद में कितना घुमाव होगा. उसकी गति कितनी होगी और कोण कैसा होगा, यह सारा कुछ मशीन के सॉफ्टवेयर में लोड होगा. इससे बल्लेबाज न सिर्फ गेंद से प्रेक्टिस कर पाएगा, बल्कि वह स्पिन गेंदबाजी का भी अभ्यास कर सकेगा. यानी ऑफ स्पिन-लेग स्पिन के साथ बल्लेबाज इस गेंदबाजी मशीन से गुगली खेलने का भी अभ्यास कर पाएंगे. खास बात यह है कि इसकी विशिष्ट नियंत्रण प्रणाली से बॉल फीडर भी आसानी से कोच जैसा ही काम कर सकेगा. ईसीबी का इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग जल्दी ही मशीन के पेटेंट का भी दावा करेगा.
कॉलेज के तीन से चार साथियों ने मिलकर तैयार की है ये मशीनस्टूडेंट हरी सिंह तंवर ने बताया कि कॉलेज के तीन से चार साथियों ने मिलकर यह बॉलिंग मशीन तैयार की है. फरीदाबाद की स्पोर्ट्स एमी कंपनी के लिए यह बॉलिंग मशीन बनाई है. करीब पांच माह में यह बॉलिंग मशीन तैयार की है. क्रिकेट में बैट्समैन की प्रैक्टिस के लिए बॉलिंग मशीन बनाई गई है. एक बॉलर कुछ समय तक यानी लगातार बॉलिंग नहीं कर सकता है और बॉलर लगातार स्पिन नहीं कर सकता है. ऐसे में यह बॉलिंग मशीन तेज स्पीड और लगातार स्पिन कर सकती है. बैट्समैन को प्रैक्टिस के लिए 100 से 200 बॉल की प्रैक्टिस करनी पड़ती है. ऐसे में यह बॉलिंग मशीन लगातार सैकड़ों बॉलिंग कर सकता है. इस मशीन से स्पिन में अलग अलग वैरिएशन भी ला सकते है.
130 किलोमीटर की स्पीड से फेंकगी गेंदइस मशीन के साथ हमने एप तैयार किया है. जिससे एक कोच कई खिलाड़ियों को अलग अलग बॉलिंग मशीन से अलग अलग खिलाड़ियों को बॉलिंग की अलग अलग वैरिएशन कर सकता है. इस मशीन से बॉल की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटे से फेंक सकती है. यह मशीन बिजली से चलती है. इस बॉलिंग मशीन में लगे टायर काफी लंबे समय तक चलते है. इस बॉलिंग मशीन में 400 वाट की दो मोटर लगी है. इस लगे टायर 2 हजार बॉल तक चलते है इसके बाद टायर को बदला जाता है. यह टायर 2 हजार बॉल फेंकने के बाद घिस जाते है. इस बॉलिंग मशीन को बनाने में करीब 40 हजार रुपए की लागत आई है.
बॉल की रफ्तार भी माप सकेंगेइलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग के विभागाध्यक्ष हरजीत सिह बताते हैं कि स्वचालित बॉलिंग रोबोटिक सिस्टम को तीन हिस्सों में तैयार किया गया है. पहला बॉलिंग मोटर ड्राइविंग सिस्टम है. इसमें दो डीसी मोटर तथा ईएसपी-32 माइक्रोकंट्रोलर तथा मॉस्फेट आधारित नियंत्रण प्रणाली है. इसी माइक्रो कंट्रोलर से जुडे सेंसर फेंकी गई प्रत्येक बॉल की रफ्तार भी माप सकेंगे. दूसरा हिस्सा बॉल फीडर सिस्टम भी एक नियंत्रित डीसी मोटर आधारित है, जो बॉल की उपलब्धता, कोच या खिलाडी की मंशा अनुरूप समय पर बॉलिंग मशीन से करवाती रहती है. तीसरा इंटीग्रेटेड कंट्रोल सिस्टम है, जो कोच को बॉलिंग सिस्टम पर पूरा नियंत्रण प्रदान करता है. कोच एक ऐप के सहारे पूरा नियंत्रण रखते हुए अभ्यासरत बल्लेबाज के लिए बॉल की गति तथा स्पिन के प्रकार को पूरी तरह से नियंत्रित रख सकता है.
टेनिस जैसे अन्य खेल भी खेल सकेंगेइलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंटेशन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर राहुल राज चौधरी ने बताया कि छात्रों ने इंडस्ट्री ग्रेड के उत्पाद को न सिर्फ अपने आइडिया के साथ डिजाइन किया, बल्कि इसके प्रोटोटाइप को मूर्त रूप देकर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में एआई आधारित इंस्ट्रूमेंटेशन की सम्भावनाओं को प्रबल किया है न सिर्फ क्रिकेट, बल्कि इस सिस्टम को अपग्रेड करते हुए टेनिस जैसे अन्य खेलों में भी उपयोग किया जा सकेगा.
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FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 14:10 IST