Rajasthan

खाटू नगरी में भगवान राम का 400 साल पुराना मंदिर, जहां पाताल में छिपा है हनुमान जी का रहस्यमय द्वार!

सीकर. राजस्थान की पावन भूमि खाटू नगरी, जिसे बाबा श्याम जी की नगरी कहा जाता है, न केवल अपने प्रमुख खाटू श्याम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि सबसे प्राचीन श्री सीताराम जी मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान राम का पूरा परिवार स्थापित है. यह मंदिर आज भी अपने प्राचीन स्वरूप में स्थित है. मंदिर महंत गिरिराज शर्मा ने बताया कि यह मंदिर लगभग 400 से 415 वर्ष पुराना है. इसकी स्थापना संत सणा दास जी महाराज ने की थी, जो उस समय के एक महान संत और तपस्वी माने जाते थे.

माना जाता है कि संत सणा दास जी ने खाटू नगरी में प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भगवान हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित कर इस मंदिर को सीताराम जी मंदिर का रूप दिया. इसलिए यह मंदिर श्री सीताराम जी मंदिर मूर्ति के नाम से जाना गया. मंदिर की अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां आज भी उसी स्वरूप में विराजमान हैं जैसी वे सैकड़ों वर्ष पहले थीं. यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है. इसे श्री राम द्वारे के नाम से भी जाना जाता है.

पाताल में है हनुमान मंदिर का रहस्यश्री सीताराम जी मंदिर का निर्माण राजस्थानी और प्राचीन हिन्दू वास्तुशिल्प के अद्भुत संगम से हुआ है. मंदिर में प्रमुख गर्भगृह के साथ कई छोटे-छोटे देवालय बने हुए हैं. मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी विराजित हैं, वहीं दूसरे भाग में भगवान शिव और उनके परिवार की मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर का विशेष आकर्षण इसका दक्षिणमुखी पाताल है, जहां हनुमान जी का मंदिर स्थित है. भक्त मानते हैं कि यहां दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के जीवन के संकट दूर होते हैं और मन को अपार शांति प्राप्त होती है.

भगवान राम की होती है पूजाभगवान श्रीराम की पूजा इस मंदिर में प्राचीन काल से निरंतर होती आ रही है. कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम के पूरे परिवार की पूजा एक साथ करने से भक्तों को पारिवारिक सुख, संतोष और समृद्धि प्राप्त होती है. इस मंदिर की एक विशेष मान्यता यह भी है कि यहां आने वाला भक्त यदि सच्चे मन से अपनी मनोकामना व्यक्त कर विशेष पूजा करता है तो उसकी हर इच्छा पूरी होती है. इसी कारण यह मंदिर भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय स्थान माना जाता है.

संत सणा दास जी को स्वप्न में मिला आदेशमंदिर के संस्थापक संत सणा दास जी महाराज का जीवन भक्ति और त्याग का उदाहरण था. कहा जाता है कि उन्होंने वर्षों तक तपस्या कर भगवान श्रीराम और माता सीता के नाम का जप किया. एक दिन उन्हें स्वप्न में आदेश मिला कि खाटू की पवित्र भूमि पर राम दरबार की स्थापना करें और तभी इस मंदिर की नींव रखी गई. उनके द्वारा स्थापित अष्टधातु मूर्तियां आज भी उसी स्वरूप में विराजित हैं और भक्तों के जीवन में आस्था का दीप जलाती हैं. यह मंदिर प्राचीन काल में जिस स्वरूप में था, ठीक वैसे ही आज भी अपने मूल रूप में मौजूद है.

मान्यताएं और वार्षिक आयोजनइस मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि यहां पूजा करने से जीवन के क्लेश और संकट समाप्त होते हैं. यहां जात-जडुले की परंपरा भी निभाई जाती है. श्रद्धालु यहां संतान प्राप्ति और वैवाहिक जीवन से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां मनोकामना करता है, उसकी कामना अवश्य पूर्ण होती है. दीपावली के अवसर पर यहां विशेष पूजा और भंडारा आयोजित किया जाता है. इस वर्ष 22 अक्टूबर को मंदिर में अन्नकूट कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें लगभग 1000 श्रद्धालुओं के लिए प्रसादी रखी जाएगी. यह आयोजन श्रद्धालुओं के सामूहिक भक्ति भाव और परंपरा का प्रतीक बन चुका है.

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