5 चुपके से आने वाले कैंसर: कारण जानें, बचाव करें, स्वस्थ रहें

भारत में कैंसर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। हाल के वर्षों में कई तरह के कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण जीवनशैली और वातावरण से जुड़े कारक हैं। विश्व कैंसर दिवस पर, हम भारत में पाए जाने वाले 5 सबसे आम कैंसर और उनके कारणों को समझेंगे।
1. स्तन कैंसर:
यह युवा महिलाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है। शहरों में आधे से अधिक स्तन कैंसर 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में पाए जाते हैं। इसके बढ़ते मामलों के पीछे देर से शादी करना, कम स्तनपान कराना और दूसरी जीवनशैली से जुड़ी आदतें शामिल हैं। कुछ भारतीय आबादी में BRCA जीन में बदलाव होने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
स्तन कैंसर सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज को भी प्रभावित करता है। जल्दी पहचान और बेहतर इलाज के लिए नियमित रूप से स्तनों की खुद जांच करना और मैमोग्राम कराना बहुत जरूरी है।
2. मुंह का कैंसर:
भारत दुनिया में मुंह के कैंसर का केंद्र है। इसका मुख्य कारण तंबाकू और शराब का अत्यधिक सेवन है। बिना धुआं वाला तंबाकू, जैसे गुटका और पान मसाला, इसका सबसे बड़ा कारण है। इसके 90% मामले इन्हीं से होते हैं। साथ ही, मुंह की सफाई का ध्यान न रखना और फल-सब्जियां कम खाना भी खतरा बढ़ाता है।
इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक तंबाकू नियंत्रण उपायों की जरूरत है, जैसे तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर सख्त नियम, लोगों को जागरूक करना और धूम्रपान छोड़ने में मदद के लिए कार्यक्रम चलाना।
3. गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर:
यह ग्रामीण भारत में महिलाओं में बहुत पाया जाता है। इसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी, स्वच्छता का ध्यान न रखना, स्वास्थ्य सुविधाओं तक कम पहुंच और जांच कार्यक्रमों का अभाव है। HPV का लगातार संक्रमण, कम उम्र में यौन संबंध रखना, कई पार्टनर होना और HPV का टीका न लगवाना इसके खतरे को बढ़ाते हैं।
युवाओं को टीका लगाकर हम न सिर्फ मौजूदा पीढ़ी को बचाते हैं, बल्कि भविष्य में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामलों को कम करने में भी मदद करते हैं।
4. फेफड़ों का कैंसर:
यह पुरुषों और अब तेजी से महिलाओं में भी धूम्रपान की आदत बढ़ने से जुड़ा है। वातावरण प्रदूषण और खाना बनाने के ईंधन से होने वाला घर के अंदर का प्रदूषण भी खतरा बढ़ाता है। ऐसे कई फेफड़ों के कैंसर के मरीज भी देखे जाते हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
समय पर पहचान न होना एक बड़ी चिंता है, इसलिए जल्दी पहचान और धूम्रपान छोड़ना बहुत जरूरी है। सरकार को हवा प्रदूषण कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। धूम्रपान करने वालों, खदान मजदूरों आदि को नियमित जांच करानी चाहिए।
5. पेट का कैंसर:
इसके बढ़ते मामलों का कारण प्रसंस्कृत या जंक फूड की तरफ बढ़ता रुझान और फाइबर कम खाना माना जाता है। इसके अलावा, निष्क्रिय जीवनशैली, मोटापा और आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
पर्याप्त फाइबर वाला संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और जोखिम वाले लोगों की नियमित जांच से पेट के कैंसर को रोका जा सकता है।
जागरूकता, बचाव और जल्दी पहचान का महत्व
ऊपर बताए गए 5 बड़े कैंसरों में एक समान बात है – इन्हें रोका जा सकता है और जल्दी पहचाना जा सकता है। भले ही आनुवांशिकी भी भूमिका निभाती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में (लगभग 60-70%) अस्वस्थ जीवनशैली और प्रदूषण जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं।
भारत में बढ़ते कैंसर के बोझ से लड़ने के लिए कई तरह के प्रयास ज़रूरी हैं:
लोगों को जागरूक करना: खतरों और जीवनशैली में बदलाव के बारे में जन स्वास्थ्य अभियान चलाना ज़रूरी है।
तंबाकू नियंत्रण कानूनों को सख्ती से लागू करना: इससे मुंह और फेफड़ों के कैंसर जैसे मामलों को कम किया जा सकता है।
पूरे देश में जांच कार्यक्रम चलाना: इससे कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है।
हर किसी को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना: इलाज का सही समय पर मिलना ज़रूरी है।
कैंसर भले ही एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सरकार, डॉक्टरों, स्वयंसेवी संस्थाओं और आम लोगों के मिलकर किए गए प्रयासों से हम कैंसर को रोक सकते हैं, जल्दी पहचान सकते हैं और उसका बेहतर इलाज कर सकते हैं। आइए, स्वस्थ भारत बनाने के लिए मिलकर काम करें।