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500 फिल्मों में काम करने वाला हीरो, जिसे अंग्रेजों ने सुनाई थी मौत की सजा, था जिंदा, पर परिवार ने समझ लिया शहीद
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नजीर को फिल्मी दुनिया में बिमल राय लेकर आए और इसके बाद बॉलवुड में नजर ने ‘परिणीता’, ‘जीवन ज्योति’, ‘मुसाफिर’, ‘अनुराधा’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘नया दौर’, ‘कटी पतंग’, ‘कश्मीर की कली’ जैसी कई फिल्मों में छोटे बड़े किरदार निभाए. आपको बता दें कि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की 1960 में नजीर से मुलाकात हुई थी. उन्होंने नजीर से भोजपुरी सिनेमा की तरफ पहल करने की बात कही थी. इसके बाद नजीर हुसैन 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाइबो लेकर आए. यही वजह है कि नजीर को भोजपुरी सिनेमा का पिता कहा जाता है.