बेकार पड़ी थी 55 बीघा जमीन, बंजर खेतों में ताकने भी नहीं जाते थे किसान, तीन साल में यूं बदल गई किस्मत!

कहते हैं ना कि जहां चाह होती है, वहां राह अपनेआप निकल जाती है. अगर इंसान चाह ले तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से कर लेता है. बस मन में विश्वास और लगन होनी चाहिए. राजस्थान के बूंदी में स्थित नमाना गांव में पच्चपन बीघा जमीन पर कोई भी किसान ताकता नहीं था. इस जमीन को बंजर मानकर छोड़ दिया गया था. ना इसपर कोई फसल उगाई जाती थी ना ही किसी किसान को इसे जोतने में इंट्रेस्ट था. लेकिन आज इस जमीन को देखकर कोई इसे बंजर नहीं कह सकता.
जी हां, मात्र तीन साल के प्रयास से ही इस बंजर जमीन को आज कई फलदार पेड़ों से लदा देखा जा सकता है. नमाना में तीन साल पहले पच्चपन बीघा जमीन पर एक पौधा नहीं उग सकता था. लेकिन सरपंच गंगाबाई मीणा की वजह से आज इस जमीन पर तीन हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. आम से लेकर कई तरह के फलों के पौधों में तो फल भी आने लगे हैं. आज अगर कोई इस जमीन को देखता है तो वो कह नहीं सकता है कि ये जमीन कभी बंजर होती होगी.
ऐसे बदली किस्मतनमाना रोड के किनारे आज से तीन साल पहले पच्चपन बीघा जमीन यूं ही बेकार पड़ा था. लेकिन सरपंच गंगाबाई के पहल की वजह से आज इसपर तीन हजार पौधे लगाए जा चुके हैं. 2022 में इस बंजर जमीन को समतल किया गया था. मनरेगा के अंतर्गत दो हजार श्रमिकों ने इस बंजर जमीन पर काम किया और आज इसमें ऐसी हरियाली छाई हुई है. इसके बाद उसमें पांच हजार पौधे लगाए गए थे. इसमें तीन हजार पौधों में अब फल आ गए हैं. इसमें मौसमी, आम, आंवला आदि के पेड़ शामिल हैं.
परिश्रम के साथ-साथ तकनीक का बेहतरीन इस्तेमालनमाना गांव के इस बंजर जमीन की सिंचाई के लिए इसमें तीन सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए गए हैं. साथ ही पौधों को पानी देने के लिए तीन बोरिंग करवाए गए हैं, जिससे पौधों को पानी दिया जाता है. कभी बंजर कहलाने वाली इस जमीन पर नींबू के तीन सौ तो कटहल के तीन सौ पौधे लगाए गए थे. इसमें से अभी नींबू के मात्र तीन तो कटहल का मात्र एक ही पौधा बड़ा हो पाया. इसके अलावा भी कई पौधे लगाए गए थे जो बड़े नहीं हो पाए. इस कारण अब खेत की मिट्टी की जांच करवाए जाने की बात चल रही है. अभी इस जमीन पर और भी कई पौधे लगाए जाने की बात चल रही है.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 11:03 IST