वर्ल्ड फेमस झील में देखते ही देखते मर गए 700 पक्षी, 4 साल पहले लगा ‘श्राप’ वापस लौट आया…
जयपुर : राजस्थान में बेजुबान पक्षियों पर कहर ढाने वाली महामारी एक बार फिर लौट आई है. करीब चार साल बाद एक बार फिर से सांभर झील में पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरु हो चुका है. कुछ दिनों में ही करीब सात सौ से अधिक पक्षियों की मौत से हड़कंप मच गया है. पशुपालन विभाग ने अन्य विभागों के साथ मिलकर पक्षियों को बचाने के लिए रेस्क्यु शुरू कर दिया है. पढ़ें ये खास रिपोर्ट..
साल 2019 में एक महामारी के चलते करीब 20 हजार पक्षियों की मौत हुई थी. करीब चार साल बाद एक बार फिर से पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरु हो चुका है. 26 अक्टूबर से लेकर अब तक सांभर लेक में सात सौ से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है. पक्षियों की मौत को लेकर पशुपालन विभाग द्वारा लिए गए सैंपल में सामने आया है कि साल 2019 की तरह ही इस बार भी पक्षियों में एवियन बोच्युलिज्म रोग की पुष्टि हुई है. पशुपालन विभाग ने सांभर झील और इसके भराव क्षेत्र में प्रवासी और देसी पक्षियों की असामान्य मौतों को लेकर बरेली स्थित आईवीआरआई में सैम्पल भेजे थे.
पक्षियों में एवियन बोच्युलिज्म रोग की पुष्टि होने के बाद पशुपालन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर अधिकारियों को एसओपी के तहत रोग पर नियंत्रण और रेसक्यु के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा मृत पक्षियों के शवों का भी निस्तारण किया जा रहा है.
पशुपालन विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. तपेश ने बताया कि सांभर झील के करीब जयपुर, अजमेर, डीडवाना के 60 किलोमीटर के एरिया में सबसे ज्यादा केसेज देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि सांभऱ झील को 10 भागों में बांटकर टीमें काम कर रही हैं.
पशुपालन विभाग की टीम झील में मृत पक्षियों को निकालने का काम कर रही है, लेकिन समस्या यह है कि मृत पक्षी के कारण दूसरे पक्षी भी एवियन बोच्युलिज्म रोग से ग्रसित हो रहे हैं और मृत पक्षियों को झील से निकालना भी पशुपालन, वन विभाग, जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमों के लिए चुनौती बना हुआ है. पशुपालन विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ.तपेश ने बताया कि प्रभावित पक्षियों के लिए रेसक्यु सेंटर बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि अब तक 734 पक्षियों की मौत हुई है, जबकी 126 प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है.
सांभर झील में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता है. हर साल करीब ढाई से तीन लाख प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. इन पक्षियों में दुर्लभ प्रजातियों के भी पक्षी होते हैं. ज्यादातर ऐसे पक्षी होते हैं जो कीचड़ में रहना पसंद करते हैं. अब सांभर झील में प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का दौर शुरु हो गया है. ऐसे में जल्द ही इस महामारी पर कंट्रोल नहीं किया गया तो प्रवासी पक्षियों पर भी ये महामारी आफत बन सकती है.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 16:37 IST