8वां वाणी फाउंडेशन अनुवादक पुरस्कार ऑस्कर पुजोल को, JLF 2024 में होंगे सम्मानित

हाइलाइट्स
ऑस्कर पुजोल ने स्पेनिश में भगवद्गीता का अनुवाद ‘ला भगवद्गीता’ के नाम से किया है.
निर्णायक मण्डल में नमिता गोखले, अरुणव सिन्हा और यतीन्द्र मिश्र शामिल हैं.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में दिया जाएगा वाणी फाउंडेशन अनुवादक सम्मान.
इस वर्ष का ‘वाणी फाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ प्रसिद्ध स्पेनिश विद्वान ऑस्कर पुजोल को संस्कृत से स्पेनिश भाषा में अनुवाद के योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा. यह सम्मान जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के जयपुर बुकमार्क में प्रदान किया जाएगा. वाणी फाउंडेशन और टीमवर्क आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से हर वर्ष जयपुर बुकमार्क (जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल) में ‘वाणी फाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बंध विकसित करने की दिशा में योगदान दिया है. भारतीय और अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं के बीच सीधे आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए वाणी प्रकाशन ने यह पुरस्कार शुरू किया है. सम्मान में स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है.
ऑस्कर पुजोल ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और उनका भारत के साथ जीवन भर जुड़ाव रहा है. वह नई दिल्ली और रियो डी जनेरियो के सर्वानतेस इंस्टीट्यूट के निदेशक और कासा एशिया के शैक्षिक कार्यक्रमों के निदेशक रहे हैं. ऑस्कर पुजोल ने कई पुस्तकों की रचना की है, उनमें संस्कृत और कैटलन भाषा का पहला शब्दकोश, संस्कृत और स्पेनिश भाषा का शब्दकोश, ल इल्यूसिओन फेकुंडा शंकराचार्य के दर्शन और शास्त्रों पर आधारित स्पेनिश ग्रन्थ शामिल हैं. संस्कृत भाषा के प्रति उनके समर्पण के लिए उन्हें ‘कर्मयोगी’ और ‘भाषा प्रेमी’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. भगवद्गीता का उनका नवीनतम अनुवाद संस्कृत से स्पेनिश संस्करण ‘ला भगवद्गीता’ के नाम से प्रकाशित हुआ है.
इन्हें मिल चुका है यह सम्मान
‘वाणी फाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ सम्मान के तहत पहला सम्मान मलयालम कवि अत्तूर रवि वर्मा को 2016 में प्रदान किया गया था. वर्ष 2017 में यह पुरस्कार प्रख्यात अनुवादक, कवयित्री, लेखिका और आलोचक डॉ. अनामिका को भोजपुरी से हिन्दी अनुवाद के लिए दिया गया. 2018 में सांस्कृतिक इतिहासज्ञ और अनुवादक डॉ. रीता कोठारी को सिन्धी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए दिया गया. 2019 में इस पुरस्कार से प्रख्यात कवि, कथाकार, अनुवादक और चित्रकार तेजी ग्रोवर को सम्मानित किया गया.
वर्ष 2020 में उर्दू से अनुवाद के लिए रख्शंदा जलील को पुरस्कृत किया गया. 2021 का पुरस्कार अनुवादक, लेखक और शिक्षाविद् अरुणव सिन्हा को बंगला से अंग्रेजी अनुवाद के लिए प्रदान किया गया. 2023 में यह सम्मान डेज़ी रॉकवेल को वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में हिन्दी और उर्दू भाषा के प्रति योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया.
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FIRST PUBLISHED : January 28, 2024, 19:07 IST