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- Corona Period: Premature Delivery Decreased Due To Lockdown; Pollution, Stress Reduction And Domestic Work Are The Major Reasons
न्यूयॉर्क18 दिन पहले
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इस बदलाव से दुनियाभर के डॉक्टर्स बहुत खुश हैं। इस पैटर्न पर अब वे रिसर्च की तैयारी शुरू कर रहे हैं। -प्रतीकात्मक फोटो
- आयरलैंड में लॉकडाउन के दौरान प्रीमैच्योर बर्थ में 90% की गिरावट आई
- अमेरिका में हर दस में एक बच्चा प्रीमैच्योर पैदा होता है
(एलिजाबेथ प्रेस्टन) कोरोनावायरस और इसकी वजह से लगाए गए लॉकडाउन से कई देशों में शिशुओं के प्रीमैच्योर बर्थ की दर में तेजी से कमी आई है। इस बदलाव से दुनियाभर के डॉक्टर्स बहुत खुश हैं। इस पैटर्न पर अब वे रिसर्च की तैयारी शुरू कर रहे हैं। आयरलैंड, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों के अस्पतालों में नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट्स में प्रीमैच्योर बर्थ तेजी से घटे हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं को आराम खूब मिल रहा है। साथ ही प्रदूषण का स्तर कम है। इसके अलावा बाहर का खाना-पीना बंद है, घरेलू काम भी कर रही हैं। निश्चित रूप से इसका फायदा मिला है। अमेरिका में हर दस में एक बच्चा प्रीमैच्योर पैदा होता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी 40 हफ्ते की होती है, पर डिलीवरी 37 हफ्ते से पहले हो तो उसे प्रीमैच्योर कहते हैं।
आयरलैंड के डॉ. रॉय फिलिप ने कहा कि लॉकडाउन अस्पताल में प्रीमैच्योर बर्थ घटे हैं। पिछले 2 दशक से प्रति हजार बच्चों पर तीन बच्चे 2.2 पाउंड वजन के पैदा हो रहे थे। यानी कमजोर और प्रीमैच्योर। पर मार्च से अब तक एक भी बच्चा इस वजन ग्रुप में पैदा ही नहीं हुआ।
दो दशकों के बाद ऐसा हुआ है। आयरलैंड में लॉकडाउन के दौरान प्रीमैच्योर बर्थ में 90% की गिरावट आई है। अल्बर्टा के कैलगेरी में डॉक्टर बेलाल-अल-शेख कहते हैं कि पूरे यूरोप में ये घटना घट रही है। बच्चे स्वस्थ पैदा हो रहे हैं, प्रीमैच्योर बर्थ घटे हैं। मेलबर्न स्थित मर्सी हॉस्पिटल में डॉ. डैन कासालाज अब रिसर्च करने जा रहे हैं कि लॉकडाउन में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से प्रीमैच्योर बर्थ में कमी आई है।
अमेरिका में 2018 तक लगातार चौथे साल बढ़े थे प्रीमैच्योर बर्थ
अमेरिका के नैशविले में स्थित वैंडरबिल्ट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉ. स्टीफन पैट्रिक कहते हैं कि प्रीमैच्योर बर्थ में 20% से ज्यादा गिरावट है। वहीं सीडीसी के मुताबिक देश में 2018 तक प्रीमैच्योर डिलीवरी की दर लगातार चौथे साल बढ़ी थी। इस दौरान श्वेत महिलाओं को 9% और अश्वेतों को 14% जोखिम था।
-दैनिक निराला समाज के न्यूयॉर्क टाइम्स से अनुबंध के तहत यह रिपोर्ट।
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