बच्चों की देवी के नाम से प्रसिद्ध है यह माता का मंदिर, लिंकन बालाजी के साथ है स्थापित, जानें मान्यता

सुनील साहु/ चित्तौड़गढ़. हम आपको चित्तौड़गढ़ के कपासन नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रकृति की गोद में बसे एक ऐसे प्राचीन हनुमान मंदिर और देवी माता का मंदिर के बारें में बताने जा रहे हैं, जो हरे भरे वृक्षों से चारों तरफ से घिरा हुआ है. इस हनुमान मंदिर को लिंकन के बालाजी के नाम से जाना जाता है. वहीं यहां एक माता का मंदिर है जहां मान्यता है कि बीमार बच्चों को यहां लाने पर उनका स्वास्थ्य ठीक हो जाता है.
दरअसल यह हनुमान मंदिर बहुत ही प्राचीन बताया जाता है. इस हनुमान मंदिर में हर रोज भक्तों की भीड़ लगी रहती है. किंवदंतियों के अनुसार यह हनुमान मंदिर कपासन नगर की उत्पत्ति से पूर्व का माना जाता है. इस मंदिर में लगी हनुमान की यह प्रतिमा जमीन के अंदर से निकले बहुत ही बड़े पत्थर के रूप में अंकित है. हनुमान जी का यह स्वरूप बहुत ही मनमोहक है. इस मंदिर की गिनती कपासन नगर के सबसे प्राचीन मंदिर के रूप में की जाती है.
वहीं इस हनुमान मंदिर के पास ही स्थित एक देवी का मंदिर है जिसे खाखरिया माता के नाम से जाना जाता है जो प्राचीन देवी का मंदिर है. खाखरिया माता का मतलब इस क्षेत्र में खाखरा नामक वृक्ष बहुत ही मात्रा में पाया जाता है. इस वृक्ष को पलाश या जंगल की ज्वाला के नाम से भी जानते हैं. इस माता को बच्चों की देवी भी कहते हैं. क्योंकि इस मंदिर में सबसे ज्यादा बीमार बच्चों को ही लाया जाता है. मान्यता है कि बीमार बच्चे एक बार इस मंदिर में माता को धोक लगाने के बाद एकदम ठीक हो जाते हैं. चाहे बच्चों को कोई बीमारी हो या वह रोते बहुत हो या किसी की बुरी नजर लग गई हो सब समस्या का समाधान माता के दरबार में हो जाता है.
स्थानीय लोगों की मानें तो बीमार बच्चों के माता-पिता बच्चों के पुराने कपड़े यहां स्थित प्राचीन इमली के वृक्ष पर बांधकर बच्चों के स्वस्थ रहने की मनोकामना करते हैं बच्चों के ठीक होने के उपरांत श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा अनुसार माता के मंदिर में चढ़ावा चढ़ाया जाता है और रात्रि जागरण का आयोजन भी किया जाता है. हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामना माता के चरणों में अर्पित करते हैं. यह प्राचीनतम मंदिर नगर के आसपास बहुत ही विख्यात है माता के मंदिर के पास ही प्राचीन भैरव का मंदिर भी स्थित है इस मंदिर से भी लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है.
नोट – यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी खबर है, न्यूज 18 इसमें मौजूद तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.
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FIRST PUBLISHED : August 18, 2023, 16:06 IST