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चांद पर पहुंचने के बाद क्या है इसरो का अगला टारगेट, सुनकर आ जाएगा पसीना, चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिक ने बताया

कोलकाता. काम के प्रति अपने प्रेम के कारण एक रॉकेट वैज्ञानिक दो वर्ष से अधिक समय से मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में स्थित अपने घर नहीं गए हैं. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक निंगथौजम रघु सिंह हैं जो चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने का दायित्व निभाने वाले लोगों में से एक हैं.

सिंह ने पीटीआई से कहा, ‘मुझे घर की याद आती है, लेकिन अपने काम की प्रकृति के कारण मैं लगभग दो वर्ष से वहां नहीं गया हूं.’ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह अगली बार घर कब जाएंगे. सिंह ने कहा, ‘लेकिन, मुझे अपने माता-पिता के साथ लगभग हर दिन बातचीत करने के लिए व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी प्रौद्योगिकी को धन्यवाद देना चाहिए.’

भारत की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में से एक के तहत चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया. सिंह ने कहा, ‘चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के और भी अधिक महत्वाकांक्षी अगले अध्याय की शुरुआत है, जिसमें सूर्य का अध्ययन किया जाएगा और गगनयान कार्यक्रम के तहत एक भारतीय मंच पर भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘अब हम मिशन गगनयान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यों वाले चालक दल को 400 किमी की कक्षा में भेजने और फिर भारतीय समुद्री जल में उतारकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है.’

विंग कमांडर राकेश शर्मा अब तक अंतरिक्ष में जाने वाले एकमात्र भारतीय हैं. 1984 में, वह भारत-सोवियत संघ के संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे और ‘सैल्युट 7 अंतरिक्ष स्टेशन’ पर आठ दिन बिताए थे. बिष्णुपुर जिले के थांगा निवासी एन चाओबा सिंह और एन याइमाबी देवी के पुत्र सिंह मछली पकड़ने वाले एक साधरण परिवार से हैं.

वह आईआईएससी बैंगलोर के पूर्व छात्र हैं. सिंह ने आईआईटी-गुवाहाटी से भौतिकी में स्नातकोत्तर (स्वर्ण पदक विजेता) पूरा किया और डीएम कॉलेज ऑफ साइंस इंफाल से भौतिकी में स्नातक किया. वह 2006 में वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए थे.

Tags: Chandrayaan-3, ISRO, Manipur

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