वो सिंगर जिसने पहले गाने से मचा दी धूम, मुंबई से लेकर गांव-गांव में लोग हो गए दीवाने, लेकिन 1 गलती ले डूबी चमकता करियर

मुंबई. 90 का दशक और दर्दभरे नग्मे दोनों ही संगीत के शान हुआ करते थे. इन दर्दभरे नग्मों का बादशाह था एक ऐसा सिंगर जो अपने पहले ही गाने से पूरे देश में छा गया. इसके बाद 1 के ऊपर 1 कई बेहतरीन गानों में दर्द की गंगा बहा दी और संगीत की दुनिया का सितारा बन गया. लेकिन इस सुरों के सरताज ने अपने करियर के पीक पर एक ऐसी गलती कर दी जिससे पूरा करियर तबाह हो गया. सारी स्टार्डम हवा में उड़ती नजर आई. वापसी की कोशिश के बाद भी इस सिंगर के सितारे नहीं चमके. हम बात कर रहे हैं 90 के दशक के मशहूर सिंगर अल्ताफ राजा की. अल्ताफ राजा गायकी की दुनिया का ऐसा नाम है, जिनके नग्मों पर हर आशिक ने आंसू बहाए हैं. अल्ताफ राजा की जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रही.
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अल्ताफ राजा का जन्म 15 अक्टूबर 1967 को नागपुर में हुआ था. अल्ताफ राजा के माता-पिता दोनों ही कव्वाल गायक थे. अल्ताफ के पिता इब्राहिम इकबाल मुस्लिम और मां रानी रूपलता हिंदू थीं. अल्ताफ का बचपन संगीत का सागर में बीता. अल्ताफ जब छोटे थे तो उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और उन्होंने कम उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया. इसके बाद अल्ताफ दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमा करते थे. जब अल्ताफ बड़े होने लगे तो उनके माता-पिता को उनकी जिंदगी की चिंता सताने लगी. अल्ताफ की मां ने उन्हें दर्जी का काम सीखने की सलाह दी. लेकिन अल्ताफ की किस्मत की कहानी अभी लिखना बाकी थी. एक दिन अल्ताफ बाहर से घूमकर घर आए और घर में एक गाना बज रहा था. (फोटो साभार-Instagram@altafraja_official)
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लता मंगेशकर और मन्ना डे रेडियो पर ‘दिल की गिरह खोल दो’ गाना गा रहे थे. अल्ताफ को ये गाना बहुत पसंद आया. इसके बाद अल्ताफ ने भी संगीतकार बनने का सपना देख लिया. अल्ताफ ने अपनी मां से इसका जिक्र किया तो उन्होंने अल्ताफ को संगीत की ट्रेनिंग लेने के लिए भारतीय विद्यापीठ विश्वविद्यालय में भेज दिया. संगीत की ट्रेनिंग लेकर अल्ताफ गानों की दुनिया में अपनी जमीन तलाश रहे थे. मुंबई में सुरों के शिक्षक गोविंद प्रसाद के पास अल्ताफ गायकी को दुरुस्त करने लगे. 1989 का साल शुरू हो गया था और अल्ताफ के सुर पक्के हो रहे थे. करीब 3 साल तक अल्ताफ देश के कोने-कोने में शो करने लगे. साल 1993 आया और अल्ताफ की किस्मत के दरवाजे खुलने वाले थे. (फोटो साभार-Instagram@altafraja_official)
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अल्ताफ राजा के एक शो में वीनस कंपनी के कव्वाल मोहम्मद सैफी नियाजी भी मौजूद थे. सैफी ने अल्ताफ की आवाज सुनी और दंग रह गए. इसके बाद अल्ताफ को वीनस कंपनी के लिए ऑडिशन के लिए बुलाया गया. ऑडिशन में पास होने के बाद 1993 में अल्ताफ राजा का एक म्यूजिक एल्बम ‘सजदा रब को कर ले’ रिलीज किया गया. हालांकि पहला एल्बम कोई खास कमाल नहीं कर पाया और अल्ताफ के संघर्ष के दिन बचे रह गए. इसके बाद जीटीवी की लॉन्चिंग हुई और एक प्रोग्राम डिजाइन किया गया. इस प्रोग्राम में कव्वालों को बुलाया जाता था. अल्ताफ को भी यहां गाने के लिए बुलाया गया. यहां अल्ताफ ने अपना गाना ‘तुम तो ठहरे परदेशी’ गाना गाया. ये गाना पहले ही दिन में पूरे देश में छा गया. (फोटो साभार-Instagram@altafraja_official)
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फिर साल आया 1995 का और अल्ताफ के हाथ लगा एक सोलो एल्बम. इस एल्बम में सारे गाने अल्ताफ ने गाए और ये रातों-रात हिट हो गया. इस एल्बम का गाना ‘तुम तो ठहरे परदेशी’ मुंबई से लेकर गांव अंचलों तक पॉपुलर हो गया. 1997 में रिलीज हुए इस एल्बम की लाखों कॉपियां रातों-रात बिक गई. इसके बाद अल्ताफ राजा को मिथुन चक्रवर्ती स्टारर फिल्म ‘शपथ’ फिल्म में गाना गाने का मौका मिला. 1997 में रिलीज हुई इस फिल्म में कुल 5 गाने थे. जिसमें से 1 को अल्ताफ ने गाया था. इस गाने का नाम था ‘इश्क और प्यार का मजा लीजिए’. इस गाने ने इतनी पॉपुलरिटी बटोरी कि लोग मिथुन को भूलकर अल्ताफ की बात करने लगे. इसके बाद अल्ताफ का करियर चल निकला और एक के बाद एक कई बेहतरीन गाने दिए. अल्ताफ के गाने ट्रकों से लेकर ऑटो रिक्शा की शान बन गए. (फोटो साभार-Instagram@altafraja_official)
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खूबसूरत चेहरा और गाल पर डिंपल देख फिल्म मेकर्स ने अल्ताफ राजा को एक्टिंग के भी मौके देने शुरू कर दिए. हालांकि अल्ताफ ने एक्टिंग करने से मना कर दिया. यही अल्ताफ की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई. अल्ताफ ने एक्टिंग करने से मना किया और फिल्म मेकर्स का दिल खट्टा हो गया. 10 साल के अंदर ही अल्ताफ राजा का करियर ढलान पर आ गया. धीरे-धीरे लोग अल्ताफ को भुलाने लगे. अल्ताफ ने वापसी की भी कोशिश की लेकिन सफल नहीं रहे. अब अल्ताफ अपने प्राइवेट शो करते रहते हैं. अल्ताफ का लंबे समय से कोई फेमस गाना रिलीज नहीं हुआ है. (फोटो साभार-Instagram@altafraja_official)