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मधुबाला और वैजयंती माला से भी खूबसूरत थीं एक्ट्रेस, शादीशुदा होने के बाद भी डायरेक्टर को दे बैठी दिल, आखिरी समय फर्नीचर बेच पाला पेट
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इस फिल्म में निगार ने छोटा किरदार किया और 14 साल की निगार का फिल्मी सफर यहीं से शुरू हो गया. निगार अपने करियर में मशगूल हो गईं और ‘बेला’ (Bela 1947), ‘शिकायत’ (1948), ‘नाव’ (1948), ‘मिट्टी के खिलौने’ (1948), ‘सुनहरे दिन’ (1949), ‘बिखरे मोती’ (1951) ‘मिर्जा गालिब’ (1954), ‘आनंद भवन’ (1953) जैसी फिल्मों के जरिए सफर शुरू हो गया. इसी दौरान निगार सुल्तान को एक्टर एसएम यूसुफ से प्यार हो गया. दोनों ने शादी रचा ली. साथ ही फिल्मों का सफर भी जारी रहा. दोनों का रिश्ता ठीक चल रहा था. इसी दौरान 50 के दशक अपने अंतिम दौर में पहुंच गया. (फोटो साभार-Social Media)