Rajasthan

भाई दूज पर लगाए यमराज के नाम का दीपक, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

रवि पायक/भीलवाड़ा. एक तरफ जहां भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो वहीं दूसरी ओर दिवाली के तीन दिन बाद आने वाला भाई दूज का त्योहार का भी एक अलग ही महत्व है. इसमें भाई की कलाई पर सिर्फ मुरली बंधन और तिलक लगाकर बहनों द्वारा भाई की लंबी उम्र की कामना की जाती है.

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. इस दिन बहनें रोली और अक्षत से भाई का टीका करती हैं. उसके बाद उसे सूखा नारियल भी देती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा की जाए, तो भाई-बहनों के ऊपर से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है.

पंडित जी से जानें महत्व

भाई दूज के त्यौहार को लेकर अगर आप मुहूर्त को लेकर असमंजस में है तो जान लें एक बार क्या है शुभ मुहूर्त. पंडित भीम शंकर पाराशर कहते हैं कि रक्षा बंधन की तरह भाई-दूज का त्यौहार भी हिंदू समाज में काफी महत्वपूर्ण है और इसकी एक विशेष महत्वता है. क्योंकि राखी की तरह ही भाई दूज के त्यौहार पर भाई की कलाई पर बहनों द्वारा मुरली बंधन बांधी जाती है और माथे पर तिलक लगाया जाता है. वहीं इसके शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो इसके दो शुभ मुहूर्त है. पहला 15 नवंबर को सुबह 7 बजे से 9:22 तक है.

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11 से 12 बजे तक है मुहूर्त

वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 12:00 तक का है. इस दरमियान बहाने अपने भाई के सिर पर तिलक लगा सकती है. रक्षाबंधन की तरह यह त्यौहार बनाया जाता है. इस त्यौहार को यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन यमराज के नाम से एक दीपक भी लगाया जाता है. वहीं मानता है कि बहन अपने भाई के लिए उपवास भी रखती है और भाई द्वारा उपवास खुलवाया जाता है.

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