राजस्थान का आयुर्वेद संस्थान, लाइलाज बीमारियों के लिए वरदान, 157 फीसदी बढ़ी मरीजों की वेटिंग लिस्ट
जयपुर. जयपुर में केन्द्र सरकार के आयुर्वेद संस्थान के पंचकर्म में रोगियों की वेटिंग लिस्ट बढ़ती जा रही हैं. संस्थान में ना सिर्फ राज्य के बल्कि बाहरी राज्यों के मरीज भी यहां असाध्य रोगों का उपचार करने के लिए पहुंच रहे हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा दूर-दूर से मरीजों को आकर्षित कर रही है. लेकिन यहां रोगियों के बैड लिमिटेड होने के कारण उन्हें दो-दो महीने तक इंतजार में गुजारने पड़ते हैं.
राज्य के सबसे बड़े आयुर्वेद संस्थान एनआईए में पंचकर्म चिकित्सा की आवश्यकता वाले रोगियों की भरमार है. पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं, सोरायसिस, रीढ़ की हड्डी में चोट और ऐसे अन्य विकारों वाले रोगियों सहित, मरीजों को कभी-कभी लंबी प्रतीक्षा सूची के कारण तकरीबन दो-दो महीने तक इंतजार करना पड़ता है.
वेटिंग लिस्ट 157%
एनआईए के पंचकर्म केंद्र में आमतौर पर भीड़भाड़ रहती है. इसमें 48 बैड हैं, लेकिन इसके उपभोग की दर 157% तक बढ़ गई है. इससे अतिरिक्त मरीजों को अन्य इकाइयों में ट्रांसफर कर दिया जाता है. जयपुर में एनआईए में पंचकर्म चिकित्सा के लिए पेशेंट्स लंबी फेहरिस्त के बाद भी यहां पहुंचकर इलाज करा रहे हैं. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के कर्मचारी वहां के डॉक्टरों के नुस्खे के अनुसार रोगियों पर पंचकर्म की विभिन्न प्रक्रियाएं करते हैं. दरअसल, पंचकर्म उपचार की एक आयुर्वेदिक पद्धति है जिसमें विभिन्न रोगों के लिए निवारक उपचारात्मक क्रियाएं शामिल हैं. यह शरीर से सभी अवांछित अपशिष्टों को साफ करने और रोग प्रतिरोध क्षमता बनाए रखने की एक विधि है.
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सिर्फ 48 बैड
एनआईए के कुलपति संजीव शर्मा बताते हैं कि एनआईए अब काफी विस्तार भी कर रहा है. रोगियों की बढ़ती तादाद के बाद एनआईए को अपनी सुविधाओं का विस्तार करने की जरूरत हैं. ‘पंचकर्म’ में इलाज के लिए दूसरे राज्यों से मरीज आते हैं. लेकिन पंचकर्म विभाग में केवल 48 बेड हैं, जो मांग से काफी कम हैं. एनआईए में वर्तमान ओपीडी भवन छोटा है और मरीजों के लिए प्रतीक्षा क्षेत्र के बाहर एक टिन शेड है. केंद्र को स्टाफ की भी आवश्यकता है. इसे राज्य का सबसे बड़े आयुर्वेदिक संस्थान बनाने के लिए इन सभी मसलों पर ध्यान देने और सुविधाओं का विस्तार करने की जरूरत है. संस्थान में पंचकर्म के लिए केवल 48 बैड होने से मरीजों की प्रतीक्षा सूची हर महीने लंबी होती जाती है.
अस्पताल के विस्तार की जरूरत
एनआईए में पंचकर्म विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गोपेश मंगल ने कहा हमारे पास आमतौर पर इसके लिए प्रतीक्षा सूची होती है. विभिन्न रोगों के रोगी पंचकर्म उपचार चाहते हैं. लेकिन खास तौर पर मस्कुलोस्केलेटल और तंत्रिका संबंधी विकारों, श्वसन और मानसिक रोगों और त्वचा, चयापचय और एलर्जी के रोगों के लिए पंचकर्म में ज्यादातार रोगी पहुंचते हैं. जल्द ही ओपीडी विस्तार और पंचकर्म को भी बढाने पर ध्यान दिया जा रहा है. जल्द ही विस्तार की योजनाओं के जरिए अब सेंटर में व्यवस्था को और भी बेहतर किया जा सकेगा.
कई बीमारियां जड़ से खत्म
दीर्घकालिक लाभ के लिए आयुर्वेद को हमेशा पसंद किया जाता है. आयुर्वेदिक उपचारों से कई बीमारियों के समूल निदान हो पाने की भी एक वजह है कि दवाओं के साथ योगाभ्यास, और संतुलित आहार को लेकर बीमारियों का निदान हो पाता है. इससे राजस्थान के ही नहीं और बल्कि अन्य राज्य के पेशेंट्स के लिए भी यह एक प्लेटफार्म बन रहा हैं जहां रोगी अपना उपचार करा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 20:59 IST