This honor is like a dream come true, now the responsibility incrised | यह सम्मान सपने के यह सम्मान सपने के सच होने जैसा, अब जिम्मेदारी और बढ़ गई : दिव्यकृति

जयपुरPublished: Dec 22, 2023 02:08:06 am
राजस्थान की स्टार इक्वेस्ट्रियन एथलीट दिव्यकृति सिंह अर्जुन अवार्ड के लिए चयनित पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई हैं। बुधवार को युवा मामले और खेल मंत्रालय ने अर्जुन अवॉर्ड के लिए दिव्यकृति सिंह के नाम की घोषणा की।
यह सम्मान सपने के यह सम्मान सपने के सच होने जैसा, अब जिम्मेदारी और बढ़ गई : दिव्यकृति
– ललित पी. शर्मा जयपुर. राजस्थान की स्टार इक्वेस्ट्रियन एथलीट दिव्यकृति सिंह अर्जुन अवार्ड के लिए चयनित पहली भारतीय महिला एथलीट बन गई हैं। बुधवार को युवा मामले और खेल मंत्रालय ने अर्जुन अवॉर्ड के लिए दिव्यकृति सिंह के नाम की घोषणा की। चयन के बाद दिव्यकृति ने कहा कि हर खिलाड़ी को जब वह कॅरियर शुरू किया जाता है तो कहा जाता है कि आपनी नजर अपने खेल पर वैसे ही रखना जैसे अर्जुन की नजर मछली पर थी। और आज देश के सबसे प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड के मेरा चयन किया गया तो लगा जैसे कोई सपना सच हो गया। अब मेरी जिम्मेदारी देश के प्रति और भी बढ़ गई है। मैं इसके लिए और कड़ी मेहनत करूंगी। यह बात अर्जुन अवार्ड के लिए चयनित और हांगझाऊ एशियन गेम्स में इक्वेस्ट्रियन में गोल्ड मैडल जीतने वाली जयपुर की दिव्यकृति सिंह ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कही। पहली भारतीय होना भी गर्व की बात जर्मनी में अभ्यास करने वाली दिव्यकृति ने कहा कि हाल ही एशियन गेम्स में मेरा शानदार प्रदर्शन रहा। अब मैं आगामी एशियन चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और ओलंपिक की तैयारी के लिए जनवरी से ही ट्रेनिंग शुरू कर दूंगी। इक्वेस्ट्रियन में यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनना भी मेरे लिए गर्व की बात है। मेरे परिजन ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। चाहे देश में हो या विदेश में उन्होंने मुझे सुविधा उपलब्ध कराई उनके बिना यह सफलता असंभव थी। यह अवार्ड मैं अपने कोच, परिजन मम्मी, पापा, भाई और मेरी पूरी टीम को समर्पित करना चाहती हूं। वहीं मेरा प्रिय हॉर्स, जिसका शानदार प्रदर्शन मेरी कामयाबी का हिस्सा है उसके बिना यह संभव नहीं था। हार नहीं माननी, सफल होकर रहेंगे दिव्यकृति ने कहा कि कोई भी गेम हो उसमे सफलता और विफलता आती रहती है। ऐसे में एक ऐसा भी समय आता है जब लगता है कि अब कैसे होगा। मेरे साथ भी ऐसा कई बार हुआ पर मैंने हार नहीं मानी। मैं यूथ से यही कहना चाहती हूं कि हार नहीं माननी है, हम हर हाल में सफल होंगे। हार से घबराएं नहीं, हार हमें सिखाती है कि प्रयास में कहीं जरा सेे कमी है। उस कमी को दूर करो और सफलता आपके सामने खड़ी है। वहीं मैं परिजन से भी कहूं कि वे अपने बच्चों पर विश्वास रखे। उन्हें खेलने का मौका दें वह उनका और देश का नाम रोशन करेगा।