Farmers should spray these medicines to prevent aphid disease in crops – News18 हिंदी

कालूराम जाट/दौसा:- प्रदेश में अब धीरे-धीरे दिन का तापमान बढ़ने लगा है. तापमान 25 से 26 डिग्री हुआ है और तेज धूप और आद्रता ज्यादा होने से कीट पनप रहे हैं, जिससे चेपा रोग का प्रकोप बढ़ने लगा है. ऐसे में सरसों व जीरा की फसलें भी चेपा रोग से प्रभावित हो रही हैं. चेपा रोग से फसलों में उत्पादन कम होने की आशंका है. चेपा की रोकथाम के लिए किसान को फसलों में कुछ दवाईयों का छिड़काव करना चाहिए, ताकि फसलों को बचाया जा सके.
कृषि विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार तापमान का अंतर 6 डिग्री से ज्यादा और आसमान साफ होने के साथ हवा नहीं हो, तो पाला पढ़ने की आशंका हो जाती है. ऐसे में किसान सरसों, गेहूं, चना, जीरा और सब्जियों के साथ फलवृक्षों की हल्की सिंचाई कर लें. फसलों में डाउनी मल्डयू रोग का प्रकोप बढ़ने पर किसान फसल में भारी सिंचाई से बचे और पायरा क्लस्ट्रोबिन 5% डब्ल्यू जी,मेटीराम 55%,0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
इन दवाओं का करें छीड़काव
इसके साथ ही जीरे को झुलसा रोग से बचाने के लिए थायराफोननेट मिथाइल 70 डब्ल्यू पीया मेन्कोजेब 12 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से साफ मौसम में छिड़काव करें. फसलों में एफिड प्रकोप बढ़ने पर किट की संख्या आर्थिक स्तर से अधिक होने पर इमिडाक्लोपिड 17.8% एस.एल. 150 मिलीलीटर प्रति हेक्टर की दर से साफ मौसम में छिड़काव करें.
कृषि विशेषज्ञों से लें सलाह
चने की फसल में फली भेदक किट के प्रकोप से बचने के लिए फ्लूबेंडीयामाइड 20%, डब्ल्यू जी 250 ग्राम या ईमामेकिटन बेन्जोएट 5%एस.जी, 250 ग्राम प्रति हेक्टर की दर से साफ मौसम में छिड़काव करें. लेकिन अगर किट की संख्या आर्थिक स्तर पर 1.7-2.0 लार्वा प्रति मीटर लाइन से अधिक हो. वहीं आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव से चने में फलीभेदक कीट, जीरे में झुलसा रोग, और एफिड प्रकोप बढ़ने की आशंका है. साथ ही चेपा रोग का प्रकोप भी बढ़ेगा, जो सरसों, गेहूं और सब्जी में नुकसान पहुंचाएगा. ऐसे में किसान कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर फसलों में कीटनाशकों का समय पर छिड़काव करें.
.
Tags: Agriculture, Dausa news, Local18, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : January 27, 2024, 09:44 IST