Ideological revolution in power from East to West, defeat of racism | NRI special पूरब से पश्चिम तक सत्ता में वैचारिक क्रांति, नस्लभेद की हार
दुनिया को यह समझने में समय लगा कि समानता ही सत्य है । समरसता में ही सदभावना है। बहुत समय लगा, लेकिन आहिस्ता आहिस्ता ही सही, हम भारतीय, विश्व में बदलाव लाने की वैचारिक क्रांति के न केवल अग्रणी महानायक और प्रणेता बने और , बल्कि इस विचारधारा के इंक़लाब के वाहक, संवाहक और पोषक भी बने। ऋषि सुनक के बहाने भारतीयों और दुनिया भर के भारतवंशियों की यह खुशी दोहरी हो गई। अब दुनिया में महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग, अंबेडकर और नेल्सन मंडेला के विचारों की विजय पताका फहराती हुई नजर आ रही है। यह खुशी की बात है कि केवल अश्वेत बहुल माने जाने वाले देशों में ही नहीं,श्वेत बहुल देशों में भी बदलाव का परचम लहराता हुआ नज़र आ रहा है। पहले अमरीका में बराक ओबामा राष्ट्रपति बने,अब तमिलनाडु से ताल्लुक़ रखने वाली कमला हैरिस उप राष्ट्रपति हैं, फिर इंग्लैंड में ऋषि सुनक प्रधानमंत्री और गुजरात की प्रीति पटेल गृह मंत्री बने। वहीं गोवा मूल के भारतवंशी एंटोनियो लुइस पुर्तगाल के प्रधानमंत्री बने। इसी तरह मारिशस में उत्तरप्रदेश के प्रविंद्र कुमार प्रधानमंत्री और भारतवंशी पृथ्वीराजसिंह रूपन राष्ट्रपति बने।। जबकि सूरीनाम में भारतवंशी सूरीनामी चंद्रिकाप्रसाद और भारत में एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू व इंग्लैंड में प्रधानमंत्री बने ऋषि सुनक के रूप में उम्मीदों के क्षितिज पर बदलाव और खु शियों एक नया सूरज उगा है। इस बदलाव की वजह से आज भारतवासी व भारतवंशी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि हम विश्व के उस महान लोकतांत्रिक गणराज्य भारत के नागरिक हैं, जहां के महापुरुषों ने दुनिया को समानता का न सिर्फ संदेश दिया, बल्कि खुद भी इस विचारधारा को अपना कर नस्लभेद खत्म करने की दिशा में पहल की। एक तरफ भारत में नेताओं की लंबी सूची के बावजूद एक आदिवासी महिला सत्ता के शिखर पर पहुंची है। एक और महत्वपूर्ण बात, हम उस देश के वासी हैं,जिस देश पर कभी अंग्रेजों ने राज किया था, भारत को गुलाम बनाया था और अ वह दिन आया है जब बहुत सारे प्रभावशाली श्वेत नेताओं के बावजूद आज एक भारतवंशी ऋषि सुनक उन पर राज कर रहे हैं। यह दोहरी खुशी की वेला है। एक ओर हम भारतीय अपने देश की बेटी को राष्ट्रपति और भारतवंशी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में देख कर खुश हो रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर आप अमरीका और इंग्लैंड सहित पश्चिम के उन देशों के श्वेतों को भी तो सेल्यूट कीजिए, जिन्होंने नस्लभेद के माहौल के बावजूद नस्लभेद की संकुचित विचारधारा को ठुकराया और समानता और समरसता को अपनाया। वहीं पश्चिम के इन देशों ने बराक ओबामा, कमला हैरिस और ऋषि सुनक सहित बहुत सारे भारतवंशी नेतृत्व को न केवल अपनाया, बल्कि सत्ता के शिखर तक भी पहुंचाया। यह है हमारा भारत। बदला हुआ भारत। बदलाव लाने वाला भारत। अगर कोई हम भारतीयों से पूछे कि आजादी के अमृत महोत्सव की वेला में दुनिया का सबसे बड़ा तोहफा क्या है? या यह कि पचहत्तर बरसों में भारत की विश्व को बड़ी देन क्या है , तो हम गर्व से कहेंगे, भारत का तोहफा द्रोपदी मुर्मू, रिटर्न गिफ्ट के रूप में अमरीका की सौगात बराक ओबामा और कमला हैरिस व इंग्लैंड की ओर से ऋषि सुनक। परिवर्तन की यह बयार दक्षिण एशियाई देशों विशेषकर भारत को बहुत ठंडी और पुरसुकून महसूस हो रही है। जी हां, छोड़ो कल की बातें,कल की बात पुरानी, नये दौर में मिल कर लिख दी हमने नई कहानी।
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