Transplant facility in only two government centers in Rajasthan | राजस्थान में मात्र दो सरकारी केन्द्रों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा, प्रत्यारोपण की रहती है लंबी वेटिंग लिस्ट
राज्य सरकार की तैयारी प्रदेश के 33 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की है, जिनमें से 20 अभी संचालित भी हैं लेकिन यहां भी अंग प्रत्यारोपण तो दूर ऑर्गन डोनेशन रिट्रीवल सेंटर (ब्रेन डेड मरीज के अंग निकालने के केन्द्र) की तक सुविधा नहीं है। जिसके कारण जिलों में ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों की काउंसलिंग कर उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित भी नहीं किया जा पा रहा।
मरीज रहते है वेटिंग लिस्ट में
स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो राजस्थान) के अनुसार प्रदेश में किडनी ट्रांसप्लांट के 608 सहित लिवर और हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले 230 और 85 मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। यह सूची बड़ी होने के मुख्य कारणों में अंगदान की कमी होना और जिलों में ब्रेन डेड के अंग निकालने की सुविधा नहीं होना है।
राज्य में अंग प्रत्यारोपण केन्द्र
किडनी ट्रांसप्लांट अधिकृत अस्पताल 14 है। जबकि इसमें 2 सरकारी, एसएमएस जयपुर और जोधपुर एम्स है। वहीं निजी किडनी ट्रांसप्लांट अधिकृत अस्पतालों की संख्या सिर्फ 12 है। इन आंकड़ो में बदलाव के लिए सरकार प्रदेश के 33 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी में है।
अंगदान में बड़ा बदलाव ला सकता है यह कदम
सवाईमानसिंह अस्पताल जयपुर किडनी रोग निदान विशेषज्ञ डॉ.धनंजय अग्रवाल का कहना है कि अंग प्रत्यारोपण के लिए वेटिंग लिस्ट चिंताजनक है। इसे खत्म करने या कम करने के लिए जिलों में भी ऑर्गन डोनेशन रिट्रीवल सेंटर बनाए जाने चाहिए। जहां सिर्फ ब्रेन डेड के परिजनों की काउंसलिंग कर अंग निकालने की सुविधा हो। बड़े मेडिकल कॉलेजों की टीम वहां जाकर यह कार्य कर सकती है। इसके बाद अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ट्रांसप्लांट सेंटर तक पहुंचाया जा सकता है। यह कदम अंगदान की जरूरत वाले मरीजों की जान बचाने में बड़ा कदम साबित हो सकता है।