Good News : राजस्थान में यहां लिग्नाइट के भंडार, पावर प्लांट बने तो मिलेगी सस्ती बिजली | Lignite in Rajasthan Power Plant project Cheap Power Generation Thermal Power Plants Department of Energy Power Generation Corporation Power Crisis

सूत्रों के मुताबिक मौजूदा कोयला आधारित कुछ थर्मल पावर प्लांट के प्रबंधन के दबाव के कारण सस्ती बिजली के प्लांट लगाने की प्रक्रिया मंद कर दी गई है। जबकि, इसके लिए ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव ने विद्युत उत्पादन निगम और ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों को चेताया भी था। उन्होंने इस प्लान को पूरा करने के पीछे कोयला संकट के दौरान निजी उत्पादन कंपनियों मनमानी से बचने का भी हवाला दिया था।
30 साल के लिए लिग्नाइट उपलब्ध
बाड़मेर में ही जलीपा कपूरडी माइन्स में लिग्नाइट का भंडार है। यहां ग्यारह सौ मेगावाट का प्लांट प्रतिदिन संचालित किया जाए तो भी करीब 30 साल तक आसानी से बिजली उत्पादन हो सकेगा।
यहां लगाया जाना है प्लांट
1. बीकानेर –
बीकानेर के गुढ़ा वेस्ट में भी 125 मेगावाट क्षमता का लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट लगाया जाना है। इसके लिए करीब 119 हेक्टेयर जमीन की अवाप्ति होनी है। यह प्रक्रिया पिछले साल ही पूरी हो जानी चाहिए थी।
उत्पादन लागत – बिजली उत्पादन लागत 3.80 रुपए प्रति यूनिट आंकी गई है। यह दर पहले वर्ष की है, जिस पर खर्चा ज्यादा होता है। इसके बाद बिजली उत्पादन दर और भी कम होने की संभावना है।
प्रोजेक्ट लागत- 925 करोड़ रुपए
2. बाड़मेर –
– यहां 1100 मेगावाट क्षमता का प्लांट लगाना है।
-उत्पादन लागत- इससे 4.30 रुपए प्रति यूनिट दर से बिजली उत्पादन हो सकेगा।
-प्रोजेक्ट लागत- 8500 करोड़ रुपए
– इसके लिए हर साल दो मिलीयन मीट्रिक टन लिग्नाइट उपयोग होगा।
संकट में आंख दिखाई, निपटने के लिए जरूरी
-प्रदेश में लगातार बिजली संकट के हालात बनते रहे हैं। कोयले की कमी से भी बिजली कटौती करनी पड़ी है।
-ज्यादातर दिन करीब 2500 मेगावाट का शॉर्टफाल रहता है। सोलर व विंड एनर्जी कम होने पर यह कमी और बढ़ जाती है।
-संकट के दौरान ही कुछ निजी उत्पादन कंपनियों ने भी आंख दिखाई। यहां तक की प्लांट भी बंद कर दिए। ऐसे हालात से निपटने के लिए सरकार के खुद के सस्ती बिजली के प्लांट जरूरी हैं।
सूत्रों के मुताबिक मौजूदा कोयला आधारित कुछ थर्मल पावर प्लांट के प्रबंधन के दबाव के कारण सस्ती बिजली के प्लांट लगाने की प्रक्रिया मंद कर दी गई है। जबकि, इसके लिए ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव ने विद्युत उत्पादन निगम और ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों को चेताया भी था। उन्होंने इस प्लान को पूरा करने के पीछे कोयला संकट के दौरान निजी उत्पादन कंपनियों मनमानी से बचने का भी हवाला दिया था।