No E Mail, No App – शिक्षा विभाग आइटी में पीछे, न ई-मेल और न एप

निजी स्कूलों की फीस की न शिकायतों का सिस्टम और न मॉनिटरिंग का
जयपुर। जयपुर शहर के 2500 निजी स्कूलों में से 40 ने ही जिला शिक्षा अधिकारी को फीस निर्धारण कमेटी बनने की सूचना दी है। यह स्थिति अकेले जयपुर की ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है। फीस पर सुप्रीम कोर्ट आदेश की पालना नहीं होने की शिकायत लेकर अभिभावक घूम रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ने उनके लिए ई-मेल, एप और व्हाट्सएप नंबर तक जारी नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ढाई माह बीत चुके। इस बीच स्कूलों ने नए सत्र की फीस मांगना शुरू कर दिया। स्कूलों ने शिक्षा विभाग को 2016 के कानून के तहत फीस निर्धारण कमेटियों की सूचना भी नहीं दी। इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद विभाग न स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना को पत्र भेज रहा है और न पालना की पड़ताल की।
200 से ज्यादा स्कूलों की शिकायतें पहुंची
अकेले जयपुर जिले में पिछले डेढ़ साल में कोरोनाकाल में फीस को लेकर करीब 200 से अधिक निजी स्कूलों की शिकायतें पहुंची। जिला शिक्षा अधिकारी ने अधिकांश में नोटिस जारी कर शिकायतों को अपने हाल पर छोड़ दिया।
स्कूलों की मनमानी के ये उदाहरण
केस-1
टीसी लेने गए तो मांगी नए सत्र की फीस
जयपुर में न्यू सांगानेर रोड स्थित एक स्कूल में आठवीं कक्षा में पढऩे वाली छात्रा ने पिछले साल परीक्षा पास कर ली। अब दूसरे विद्यालय में प्रवेश लेना है। लॉकडाउन के कारण मई में विद्यालय नहीं गई और ऑनलाइन क्लास भी नहीं ली। इसके बावजूद स्कूल कक्षा 9 की फ़ीस मांग रहा है और टीसी को चक्कर लगवा रहा है।
केस-2
शिक्षिका का वेतन रोका, बेटी को निकाला
जयपुर में कालवाड़ रोड स्थित एक निजी स्कूल ने शिक्षिका का वेतन डेढ़ साल तक नहीं दिया। थाने में शिकायत की तो स्कूल ने उसकी बेटी को कक्षा से बाहर कर दिया।