Rajasthan

यूपी के आरिफ और सारस की तरह है कोटा के मुजम्मिल और कबूतर शेरा की दोस्ती, साए के जैसे रहता है साथ

शक्ति सिंह/कोटा : इंसान और पशु-पक्षियों के बीच की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. यूपी के आरिफ की सारस पक्षी के साथ दोस्ती ने इस परिभाषा को गढ़ने का काम किया. हालांकि इस निःस्वार्थ दोस्ती को जुदाई का भी दंश झेलना पड़ा और यह घटना देश में कुछ दिनों के लिए चर्चा का केंद्र बनी रही. सारस और आरिफ की दोस्ती से मिलती-जुलती राजस्थान के कोटा जिले के मुजम्मिल और शेरा कबूतर की दोस्ती की कहानी सामने आई है.

यह गहरी दोस्ती मुजम्मिल और शेरा कबूतर के बीच है. शेरा साए की तरह हर वक्त मुजम्मिल के साथ रहता है. शेरा कबूतर मुजम्मिल के हर इसारे से वाकिफ है और यह दोस्ती पिछले 1 साल से बरकरार है. शेरा मुजम्मिल के साथ खाता पीता है और रात में सोता भी है तो वहीं जब मुजम्मिल अपनी दुकान पर जाते हैं तब बाइक से मुजम्मिल के साथ उड़ता हुआ जाता है.

मुजम्मिल ने बताया कि उसका कबूतर शेरा उसकी जान है. वह उसके साथ साए की तरह 24 घंटे रहता है. उसे बचपन से ही कबूतर पालने का शौक था. उसने पहली बार ही जब कबूतर को पालना शुरू किया तो उसकी दोस्ती शेरा से इस कदर हो गई कि दोनों एक दूसरे के दीवाने हो गए. मुजम्मिल के पास एक ही कबूतर है. जो उसके पास एक साल पहले ही आया था तब वह बच्चा था. उसे यह कबूतर किसी ने उपहार में दिया था. मुजम्मिल ने इस कबूतर का नाम शेरा रखा और इसके बाद दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि अब दोनों की दोस्ती की चर्चे केवल कोटा ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया के जरिए होने लगी है.

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1 साल से दोनों में हुई गहरी दोस्ती
मुजम्मिल ने बताया कि शेरा को खाने में चने और बादाम के टुकड़े देते हैं. साथ ही विशेष रूप से शेरा का ख्याल भी रखते हैं. 1 साल पहले इस कबूतर को लेकर आए थे तब से लेकर अब तक 24 घंटे यह साथ में रहता है और हर इशारे समझता है. बाइक से दुकान पर जाते समय यह साथ- साथ उड़ता है रेस लगता है सड़क पर चलने वाले लोग इसे देखकर बहुत ही खुश होते हैं, फोटो भी खींचते हैं शेरा के साथ में. ये कबूतर कहीं भी चला जाए बाद में घूम फिर कर अपने ठिकाने पर आ ही जाता है.

मीलों तक उड़ान भरने के बाद भी वापस आ जाता है घर
दरअसल, कबूतरों के पैटर्न और चाल का अध्ययन करते समय यह देखा गया कि उनके पास दिशाओं को याद रखने की एक अद्भुत समझ होती है. मीलों तक हर दिशा में उड़ने के बाद भी वे अपने घोंसले का मार्गदर्शन करने में सक्षम होते हैं. कबूतर उन पक्षियों में से आते हैं, जिनमें रास्तों को याद रखने की खूबी होती है. कहावत है कि कबूतरों के शरीर में एक तरह से जीपीएस सिस्टम होता है, जिस कारण वह कभी भी रास्ता नहीं भूलते हैं और अपना रास्ता खुद तलाश लेते हैं. दरअसल, कबूतरों में रास्तों को खोजने के लिए मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पाई जाती है. यह एक तरह से कबूतरों में गुण होता है.

ऐसे रास्तों का निर्धारण करते हैं कबूतर
इन सब खूबियों के अलावा कबूतर के दिमाग में पाए जाने वाली 53 कोशिकाओं के एक समूह की पहचान भी की गई है, जिनकी मदद से वे दिशा की पहचान और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्धारण करने में सक्षम होते हैं. यह कोशिकाएं वैसे ही काम करती हैं, जैसे कोई दिशा सूचक दिशाओं के बारे में बताता है. इसके अलावा कबूतरों की आंखों के रेटिना में क्रिप्टोक्रोम नाम का प्रोटीन पाया जाता है, जिससे वह जल्द रास्ता ढूंढ लेते है. इन्हीं कारणों से पत्र को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे के लिए कबूतरों को चुना गया था. वहीं, घरेलू कबूतर चिट्ठियों को जल्दी पहुंचने में भी सक्षम थे.

Tags: Kota news, Local18, Rajasthan news

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