सैंडपेपर, धूल, मिंट और ‘माउथवर्क’..बॉल टेम्परिंग के अजब तरीके, उलझ चुके हैं कई दिग्गज
नई दिल्ली. क्रिकेट की बात हो और बॉल टेम्परिंग (Ball tampering) का जिक्र न आए…हो ही नहीं सकता. क्रिकेट वैसे तो ‘जेंटलमैन गेम’ कहा जाता है लेकिन बॉल टेम्परिंग, मैच/स्पॉट फिक्सिंग और बॉडीलाइन जैसे अनैतिक तरीकों से जीत हासिल करने की कोशिशों ने इसकी छवि को धूमिल किया है. क्रिकेट के नियमों में स्विंग हासिल करने के लिए बॉलर या टीम को पसीने और लार (कोविड महामारी के बाद लार के इस्तेमाल पर बंदिश लगा दी गई है) जैसे नैसर्गिक तरीके से गेंद को चमकाने की इजाजत दी गई है लेकिन किसी बाहरी-अनैतिक तरीकों से ऐसा करना बॉल टेम्परिंग (गेंद से छेड़छाड़) है. गेंद के एक हिस्से को चमकीला और दूसरे हिस्से को ‘रफ’ रखने के लिए कोल्डड्रिंक की बॉटल या नाखून से खुरचने, किसी खुरदरी चीज- जैसे वैसलीन या स्वीट जैली के इस्तेमाल और गेंद को इरादतन किसी ‘रफ’ सरफेस से रगड़ने जैसी चीजों को बॉल टेम्परिंग की श्रेणी में रखा गया है.
क्रिकेट में बॉल टेंपरिंग लेवल -2 का अपराध है. किसी खिलाड़ी के बॉल टेम्परिंग करते हुए पकड़े जाने पर उस पर जुर्माना, डिमेरिट अंक दिए जाने और कुछ मैचों का प्रतिबंध लगाने जैसी कार्रवाई की जाती है. वैसे तो टेस्ट क्रिकेट के आगाज के कुछ समय बाद से ही ‘बॉल से छेड़छाड़’ की इक्कादुक्का शिकायतें सामने आने लगी थीं लेकिन ‘बॉल टेम्परिंग’ शब्द को सबसे ज्यादा चर्चा तब मिली जब इंग्लैंड टीम के 1976-77 के भारत दौरे में टीम इंडिया के कप्तान बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) ने इंग्लिश तेज गेंदबाज जॉन लीवर पर बेसलीन लगाकर गेंद को अधिक स्विंग कराने का आरोप लगाया. बेदी ने आरोप लगाया था कि लीवर ने अपने हैडबेंड में बेसलीन लगाया और इससे गेंद की चमकाकर अतिरिक्त स्विंग हासिल की. उस समय क्रिकेट में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का वर्चस्व था, लिहाजा बेदी की शिकायत को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया. समय गुजरने के साथ क्रिकेट में बॉल टेम्परिंग की शिकायतें बढ़ती गईं और कई टीमों, दिग्गज प्लेयर्स/कप्तानों पर अपने फायदे के लिए बॉल टेम्परिंग के आरोप लगे और कुछ को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा.
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नजर डालते हैं बॉल टेम्परिंग के कुछ अनूठे तरीकों और इन मामलों में कार्रवाई की जद में आए प्लेयर्स/कप्तानों पर
‘सैंडपेपर’ कांड ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की छवि को किया तार-तार
2018 की दक्षिण अफ्रीका-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान केपटाउन टेस्ट में सामने आए ‘सैंडपेपरगेट कांड’ ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की इमेज पर बदनुमा दाग लगा दिया था. टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी कैमरन बेनक्रॉफ्ट को सैंडपेपर (रेत लगा हुआ कागज का टुकड़ा) को बॉल पर रगड़ते हुए कैमरों ने पकड़ा था. स्वाभाविक रूप से बेनक्राफ्ट जैसा खिलाड़ी खुद ऐसी करतूत में शामिल नहीं हो सकता. जांच में खुलासा हुआ था कि इस योजना में ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान स्टीव स्मिथ और उपकप्तान डेविड वॉर्नर भी शामिल थे और इन दोनों के ही कहने पर बेनक्राफ्ट ने बॉल टेम्परिंग की कोशिश की थी. इस घटना ने विश्व क्रिकेट मे तूफान ला दिया था और हर किसी के निशाने पर योजना के ‘सूत्रधार’ स्मिथ और वॉर्नर थे. आरोप तो यह भी लगा कि ऑस्ट्रेलिया टीम के कुछ अन्य प्लेयर और तत्कालीन कोच भी इस साजिश का हिस्सा थे लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्मिथ ने रोते हुए अपनी गलती कबूल की थी. इस मामले में स्मिथ और वॉर्नर दोनों पर इंटरनेशनल क्रिकेट से एक-एक साल और बेनक्राफ्ट पर 9 माह का प्रतिबंध लगाया गया था. इसके साथ ही स्मिथ पर एक साल और वॉर्नर पर ताउम्र ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी करने से रोक लगा दी गई गई थी.
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दांतों से बॉल का शेप खराब कर रहे थे बूम बूम अफरीदी
बॉल टेम्परिंग की बात हो और पाकिस्तानी प्लेयर्स का जिक्र न हो…असंभव है. पाकिस्तान के वकार यूनुस, शोएब अख्तर और शाहिद अफरीदी जैसे दिग्गज बॉलरों पर बॉल टेम्परिंग के आरोप लग चुके हैं. वर्ष 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ वनडे के दौरान अफरीदी को सबके सामने दांतों से दबाकर गेंद के शेप को बिगाड़ते हुए देखा गया था. इसे बेहद गंभीर मानते हुए अफरीदी को दो टी20I से बैन किया गया था. इससे पहले 2006 के इंग्लैड दौरे में ओवल टेस्ट के दौरान अंपायरों डेरल हेयर और बिली डॉक्ट्रोव ने पाकिस्तान टीम पर बॉल टेम्परिंग का आरोप लगाते हुए इंग्लैंड को 5 रन अवार्ड कर दिए थे इसके विरोध में इंजमाम उल हक की टीम ने टी ब्रेक के बाद मैदान में आने से इनकार दिया था. फलस्वरूप मैच में इंग्लैंड को विजयी घोषित कर दिया गया था. इसी तरह 2000 में श्रीलंका में आयोजित त्रिकोणीय सीरीज के अंतर्गत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में वकार यूनुस को बॉल टेम्परिंग का दोषी पाया गया था. वे बॉल टेम्परिंग में सस्पेंड किए जाने वाले पहले गेंदबाज थे. साथ ही उनकी मैच फीस की 50 फीसदी राशि काट ली गई थी. तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को भी बॉल टेम्परिंग में आईसीसी की ओर से सस्पेंड किया जा चुका है.
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गेंद को रफ करने के लिए धूल का इस्तेमाल
वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के दौरान लार्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड टीम के तत्कालीन कप्तान माइक एथरटन पर जेब में रखी धूल का इस्तेमाल करके गेंद को ‘रफ’ करने का आरोप लगा था. एथरटन को चुपके से जेब में हाथ डालकर धूल निकालते और इसे गेंद पर रगड़ते हुए कैमरों ने ‘कैद’ किया था. मामले ने जब तूल पकड़ा तो इंग्लैंड के कप्तान ने बचाव में कहा कि अपने हाथों को सूखा रखने के लिए उन्होंने धूल का इस्तेमाल किया. हालांकि धूल को गेंद पर रगड़ने के सवाल का वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे. इसे विश्व क्रिकेट में इंग्लैंड के प्रभुत्व का असर और एथरटन की किस्मत ही माना जा सकता है कि मामले में उन पर केवल जुर्माना लगा और वे प्रतिबंध से बच गए थे. क्रिकेट के नियमों के विरुद्ध आचरण के बावजूद कप्तान के तौर पर भी उन्हें बरकरार रखा गया था.
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द्रविड़ पर भी लगा था बॉल पर ‘कफ लोजेंज’ के उपयोग का आरोप
‘जेंटलमैन क्रिकेटर’ की छवि रखने वाले राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर पर भी बॉल टेम्परिंग का आरोप लग चुका है. 2004 में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान भारत-जिम्बाब्वे के ब्रिसबेन वनडे में द्रविड़ को गेंद के चमकदार हिस्से पर कफ लोजेंज (कफ दूर करने वाली टॉफी) रगड़ते हुए देखा गया था. बॉल टेम्परिंग का दोषी मानते हुए द्रविड़ पर इस मामले में मैच फीस का 50% जुर्माना लगाया गया था. इसी तरह सचिन तेंदुलकर को भी 2001 की भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज के दौरान गेंद की सीम पर उंगलियां ‘फेरते’ हुए देखा गया था. इस मामले में उन पर एक मैच का सस्पेंडेड बैन और मैच फीस का 75 फीसदी जुर्माना लगाया गया था. सचिन ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि वे गेंद की सीम में फंसे घास के टुकड़ों को निकाल रहे थे. मामले में मैच रैफरी माइक डेनेस की कार्रवाई पर बीसीसीआई ने सख्त विरोध जताया था और बाद में सचिन पर से बैन हटा दिया गया था. आईसीसी ने कहा था कि सचिन बॉल टेम्परिंग के दोषी नहीं हैं लेकिन उन्हें सीम पर से घास हटाने के लिए अंपायर की इजाजत लेनी चाहिए थी.
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मिंट और जिप से बॉल टेम्परिंग, दो बार उलझे फाफ डु प्लेसी
दक्षिण अफ्रीका के फाफ डु प्लेसी पर 2013 और 2016 में बॉल टेम्परिंग के गंभीर आरोप लग चुके हैं. 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट के दौरान डु प्लेसी ने गेंद को अपने पेंट के जिपर्स से रगड़कर बॉल टेम्परिंग की कोशिश की थी जिसके बाद अंपायरों ने पाकिस्तान के पक्ष में 5 रन अवार्ड करते हुए गेंद बदल दी थी और दक्षिण अफ्रीकी प्लेयर पर मैच फीस की 50 फीसदी राशि का जुर्माना लगाया था. इसी तरह 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होबार्ट टेस्ट में डु प्लेसी को मिंट या लॉलीपॉप के सलाइवा (लार) का बॉल पर इस्तेमाल करते हुए पकड़ा गया था. इसके फलस्वरूप उनकी पूरी मैच फीस काट ली गई थी.
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FIRST PUBLISHED : April 25, 2024, 08:56 IST