Here, not seven but eight promises are fulfilled – News18 हिंदी
निखिल स्वामी/बीकानेर: आपने शादियों में दूल्हा-दुल्हन को सात फेरे लेते देखा होगा, लेकिन कभी आपने किसी दूल्हे को अपनी दुल्हन को गोद में उठाकर फेरे लेते देखा है. अगर नहीं देखा तो आज हम आपको एक ऐसे समाज की परंपरा से रूबरू करवा रहे है. जहां दूल्हा दुल्हन को अपनी गोद में उठाकर फेरे लेता है. यह परंपरा सैकड़ो वर्षो से चली आ रही है. बीकानेर का श्रीमाली समाज में दूल्हा अपनी दुल्हन को गोद में उठाकर सात नहीं बल्कि आठ फेरे लेता है. यहां दूल्हा और दुल्हन सात वचन नहीं लेते है बल्कि आठ वचन लेते है.
श्रीमाली समाज के राजेंद्र श्रीमाली ने बताया कि यहां दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाकर फेरा लेता है. यहां फेरे भी आठ लिए जाते है. इनमें चार फेरे अग्नि को साक्षी मानकर तो वहीं चार फेरे सूर्य को साक्षी मानकर लिए जाते है. अग्नि को साक्षी मानते हुए रात को फेरे लेते है. वहीं चार फेरे सुबह सूर्य को साक्षी मानकर लिए जाते है. इस दौरान आठ फेरो में सात वचन तो दूल्हा दुल्हन को देता है तो वहीं एक वचन दुल्हन दूल्हे को देती है. वे बताते है कि हमारा समाज भगवान श्रीकृष्ण की परंपरा को निभा रहे है.
कृष्ण-रुक्मणि के हुए थे आठ फेरे
राजेंद्र श्रीमाली बताते है कि ऐसी मान्यता है कि कृष्ण-रुक्मणि विवाह के समय शिशुपाल भी रुक्मणि से विवाह करने पहुंचे थे. उस समय कृष्ण-रुक्मणि विवाह का चौथा फेरा चल रहा था. विवाह के मध्य में श्रीकृष्ण को शिशुपाल से युद्ध करना पड़ा और रात निकल गई. युद्ध में विजय के बाद श्रीकृष्ण ने रुक्मणि को गोद में लेकर चार फेरे सुबह लिए थे. इस प्रकार कृष्ण-रुक्मणि के विवाह पर कुल आठ फेरे हुए. इसी परंपरा को हम आज भी निभा रहे है.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2024, 12:47 IST