10 साल से जंजीरों में जकड़ी है 2 सगे भाइयों की जिंदगी, बरसों से नहीं नहाए, दास्तां सुनकर फट जाएगा आपका कलेजा – lives of 2 real brothers are in chains form last 10 years in Sardarshahar Churu Have not bathed many year
चूरू. इसे कुदरत का कहर कहें या फिर प्रशासन की बेरुखी कि चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के लोडसर गांव में दो सगे भाइयों की जिंदगी पिछले 10-12 साल से जंजीरों में जकड़ी है. परिजन दोनों को जंजीरों में जकड़कर रखने को मजबूर हैं. गर्मी हो या फिर सर्दी या बारिश का मौसम. उनके लिए टूटी हुई चारपाई ही बिछौना है और आसमान ही ओढ़ना. इन दोनों भाइयों का जीवन लोहे की सांकळों से बंध चुका है. उसके बाद से ही उन्हें नारकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है.
दो तालों के साथ जंजीरों में कैद इन दो भाइयों को खुशियों की उस चाबी का इंतजार है जो इन्हें इन बेडियों और तालों से छुटकारा दिला सके. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी योजनाओं के बाद भी प्रशासन का ध्यान इस तरफ नही गया. चूरू जिले के सरदारशहर तहसील मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित लोडसर गांव में तुलसीराम नायक का परिवार रहता है. तुलसीराम के दो भाइयों की मानसिक स्थिति सही नहीं होने के चलते वे पिछले 10-12 वर्षों से जंजीरों में कैद हैं.
बेटों को देखकर पिता भी बीमार रहते हैंइसी गम में तुलसाराम की मां गुजर गई. तुलसाराम का सबसे छोटा भाई भी अपने दोनों भाइयों की यह दशा देख नहीं पाया और उसकी भी मौत हो गई. अब परिवार में तुलसाराम ही कमाने वाला बचा है. उसी के सहारे पूरे परिवार का गुजर बसर होता है. तुलसाराम के पिता 75 वर्षीय नानूराम भी अपने दो बेटों की इस हालत को देखकर बीमार रहते हैं. वे भी चारपाई से उठ नहीं पाते हैं. इन दोनों सगे भाइयों को पिछले 10-12 वर्षों से लोहे की जंजीरो (सांकळ) से बांधकर रखा जा रहा है.
मानसिक रोगी होने के कारण बांधना पड़ा जंजीरों में36 वर्षीय ओमप्रकाश नायक और उनका छोटा भाई 32 वर्षीय हरिराम मानसिक रोगी होने के कारण उनको घर में बांधकर रखा गया है. दोनों पिछले कई वर्षों से एक ही जगह पर बंधे हुए हैं. भीषण गर्मी में भी ओमप्रकाश जहां एक कमरे में जंजीरों से जकड़ा हुआ है. वहीं उसका छोटा भाई हरिराम काफी बरसों से झोपड़ी में बंधा हुआ है. कोई भी मौसम हो लेकिन दोनों भाई इन्हीं जगहों पर जंजीरों में बंधे रहते हैं. परिजनों के अनुसार पिछले काफी बरसों से इन दोनों को नहलाया तक नहीं गया है.
15-20 वर्ष पहले तक सब सही थातुलसाराम नायक ने बताया कि परिवार में हम चार भाई थे. उनमें सबसे बड़ा मैं ही हूं. 15-20 वर्ष पहले तक सब सही था. पूरा परिवार सुखी जीवन जी रहा था. लेकिन 10-12 वर्ष पहले अचानक उसके छोटे भाई ओम प्रकाश की मानसिक स्थिति खराब हो गई. उसके बाद से परिवार पर संकट आने शुरू हो गए. सबसे पहले छोटा भाई ओम प्रकाश अजीब हरकतें करने लग गया. शुरू में उसका इलाज कराया. लेकिन वह ठीक नहीं हो सका. मजबूरन उसे जंजीरों से बांधना पड़ा.
बड़े को देखकर छोटा भाई दिमागी संतुलन खो बैठाउसके कुछ समय बाद ही उससे छोटा भाई हरिराम का भी दिमागी संतुलन खराब हो गया. मजबूरन उसे भी जंजीरों से बांधना पड़ा. परिवार में तुलसाराम ही मेहनत मजदूरी कर किसी तरह परिवार चला रहा है. क्योंकि घर में कमाने वाला वह एक ही है. तुलसाराम नायक ने बताया कि प्रशासन को अवगत करवाते -करवाते थक चुका है. लेकिन उनकी कोई सुध तक लेने नहीं आया.
ओमप्रकाश पढ़ाई में होशियार थागांव के सरपंच बृजलाल ढाका ने बताया कि ओमप्रकाश पढ़ाई में बहुत होशियार था. ओमप्रकाश दसवीं में अच्छे अंकों के साथ पास हुआ था. लेकिन 12वीं कक्षा में फेल होने के बाद वो गुमसुम रहने लग गया. उसके बाद मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया. उसको देखकर दो वर्ष के बाद ही छोटे भाई हरिराम की भी मानसिक स्थिति खराब हो गई.
जमा पूंजी भाइयों के इलाज पर खर्च पर हो गईलोडसर गांव में रहने वाले तुलसाराम के परिवार की मदद ग्रामीण तो करते हैं लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है. यदि सरकार इस परिवार की मदद करें तो शायद इस परिवार की दशा बदल सकती है. परिवार का एक मात्र सदस्य मेहनत मजदूरी करके इतना पैसा नहीं कमा पाता है जिससे वह अपने भाइयों का अच्छा इलाज करा पाएं. जो कुछ जमा पूंजी थी वह भाइयों के इलाज पर खर्च हो चुकी है.
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FIRST PUBLISHED : May 19, 2024, 10:26 IST