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शुगर के किन मरीजों को लेनी पड़ती है इंसुलिन? क्या टाइप 2 डायबिटीज में नहीं पड़ती जरूरत, जानें हकीकत

Insulin & Type 2 Diabetes: डायबिटीज की बीमारी को कंट्रोल करने के लिए सही डाइट और एक्सरसाइज के अलावा कुछ दवाएं लेनी पड़ती हैं. इन दवाओं से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. हालांकि डायबिटीज के कुछ मरीज शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की डोज लेते हैं. अक्सर माना जाता है कि इंसुलिन की जरूरत सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को होती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज वालों को इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को भी इंसुलिन की जरूरत पड़ सकती है.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने को बताया कि डायबिटीज दो तरह की होती है. टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज. टाइप 1 डायबिटीज होने पर लोगों के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या बेहद कम मात्रा में इंसुलिन बनता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए ऐसे मरीजों को रोजाना इंसुलिन लेनी पड़ती है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के शरीर में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन रजिस्टेंस की वजह से सही तरीके से काम नहीं कर पाता है. इसके लिए आमतौर पर ओरल टेबलेट दी जाती हैं. हालांकि ऐसे मरीजों को भी कई मामलों में इंसुलिन देनी पड़ती है.

डॉक्टर रावत ने बताया कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, लेकिन कई मरीजों पर ये दवाएं बेअसर होना शुरू हो जाती हैं और उनका शुगर लेवल अनकंट्रोल होने लगता है. ऐसी कंडीशन में टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट्स को भी इंसुलिन देने की जरूरत पड़ती है. जिन मरीजों का शुगर लेवल अनकंट्रोल होता है, उन्हें भी इंसुलिन लेने की सलाह दी जाती है. हालांकि डॉक्टर्स ऐसे मरीजों की कंडीशन के अनुसार इंसुलिन की डोज और उसकी अवधि तय करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज के करीब 30% मरीजों को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है.

एक्सपर्ट की मानें तो डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल में न रहे, तो यह शरीर में नर्व डैमेज की वजह बनने लगता है. इस कंडीशन को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है. ऐसे मरीजों के शरीर के अंगों की नसें डैमेज होने लगती हैं और कॉम्प्लिकेशंस पैदा होने लगती हैं. डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों को डायबिटिक न्यूरोपैथी का खतरा होता है और इससे बचने के लिए लोगों को समय पर दवाएं व इंसुलिन की डोज लेनी चाहिए. इसके साथ ही रोजाना शुगर लेवल की मॉनिटरिंग करनी चाहिए और समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए.

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Tags: Blood Sugar, Health, Lifestyle, Trending news

FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 10:54 IST

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