हार्ट अटैक आने पर 6वीं क्लास का बच्चा भी बचाएगा जान, AIIMS ने दिया फॉर्मूला, एक्शन की तैयारी
भारत में चलते-फिरते, उठते-बैठते आ रहे हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के मामलों को रोकने के लिए बड़ी तैयारी चल रही है. सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि जल्द ही स्कूलों में पढ़ने वाले 6वीं कक्षा के बच्चे भी हार्ट अटैक आने पर एक्शन लेते दिखाई देंगे और मरीजों की जान बचाएंगे. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली ने कार्डिएक अरेस्ट के मामलों में तुरंत एक्शन लेने के लिए फॉर्मूला और सिफारिशें दी हैं, जिन पर एक्शन की तैयारी की जा रही है.
हाल ही में आईसीएमआर फंडेड, हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट को कंट्रोल करने के लिए जरूरी सीपीआर को लेकर स्टडी करने वाले एम्स के इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. संजीव भोई ने hindi से बातचीत में बताया कि दिल्ली के 15 स्कूलों के 6वीं कक्षा से 12वीं तक के 4500 बच्चों पर करीब 3 साल तक स्टडी की गई. जिसके रिजल्ट के बाद एम्स की ओर से देशभर के स्कूलों में बच्चों को सीपीआर की ट्रेनिंग देने की सिफारिशें दी गई हैं.
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स्टडी में मिले बेहतर रिजल्ट डॉ. भोई ने बताया कि स्टडी के दौरान 6वीं कक्षा से ही बच्चों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को तुरंत कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन देने की जानकारी दी गई, साथ ही प्रेक्टिकली भी इसे करने का स्किल सिखाया गया. इस दौरान देखा गया कि 11वीं और 12वीं के छात्रों का वजन यानि बॉडी मास इंडेक्स बेहतर होने के चलते उन्होंने बेहतरीन तरीके से एक ट्रेंड डॉक्टर की तरह सीपीआर दी. जबकि 6वीं कक्षा से ऊपर के छोटे बच्चों ने भी जानकारी का अच्छा उपयोग किया. इससे यह बात साफ हो गई कि अगर इन बच्चों को सीपीआर की ट्रेनिंग दी जाए तो ये कहीं भी किसी भी जगह कार्डिएक अरेस्ट की चपेट में आए लोगों की जान बचाने में सफल हो सकते हैं.
नीति आयोग और एनसीईआरटी लेगी एक्शन एम्स की इस स्टडी के रिजल्ट्स के बाद एम्स और डब्ल्यूएचओ के कोलेबोरेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रॉमा केयर ने मिलकर सीपीआर मॉड्यूल स्किल को देशभर के सभी स्कूलों में लागू करने और इसे फिजिकल एजुकेशन के अलावा एक्जामिनेशन सिस्टम में लागू करने की सिफारिश की है. बता दें कि 30 से ज्यादा देशों में स्कूली बच्चों को सीपीआर ट्रेंड किया जा रहा है लेकिन भारत में अभी तक ऐसा नहीं है.
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डॉ. भोई ने बताया कि एम्स और डब्ल्यूएचओ की इन सिफारिशों पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल और एनसीईआरटी के डायरेक्टर प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, एनएचआरएससी के एडवाईजर डॉ. के मदन गोपाल ने सीपीआर ट्रेनिंग को लर्निंग मॉड्यूल और नेशनल करिकुलम में डालने की हामी भरी है. जल्द ही इस बारे में ये संस्थान बड़ा कदम उठा सकते हैं.
स्कूलों में होगी सीपीआर लैब इतना ही नहीं सभी स्कूलों में साइंस लैब की तरह ही सीपीआर लैब होने और इसे सीपीआर ट्रेंड फिजिकल टीचर के द्वारा संचालित किए जाने की सिफारिश भी की गई है. ताकि बच्चों को सीपीआर देना आने के साथ ही इसे गंभीरता से लेकर मार्क्स सिस्टम में भी जोड़ा जा सके.
हर 1 मिनट में मरते हैं 2 लोग डॉ. भोई ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक भारत में एक मिनट में दो लोगों की मौत कई कारणों से होने वाले हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की वजह से होती है. ऐसे में हर साल देश में करीब 45 लाख लोग इसकी वजह से जान गंवाते हैं. इनमें युवाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है लेकिन अगर कार्डिएक अरेस्ट आने के 10 मिनट के भीतर मरीज को तुरंत सीपीआर सपोर्ट मिल जाए तो मौतों को आधे घटाकर एक चौथाई तक किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 14:20 IST