यह है भारत का इकलौता ‘जिंदा किला,’ ये सिर्फ फोर्ट नहीं अपने आप में है पूरा शहर
राजा महराजा आमतौर पर किले अपने राज्य की रक्षा के लिए बनवाते थे, लेकिन कई किले ऐसे भी हैं जो अपने आप में पूरा शहर थे. वहां दुकान से लेकर मकान और बावड़ी तक का पूरा इंतजाम होता था. लगभग अधिकतर काम वहीं किले के दायरे में ही हो जाते थे. हालांकि, समय के साथ कई किले खंडहर हो गए तो कुछ को होटल और म्यूजियम बना दिया गया जिससे वो अभी भी बचे हैं. ऐसा ही एक किला है जैसलमेर का किला. यह किला इसलिए भी खास है क्योंकि इसे भारत का एकमात्र जीवित किला भी कहा जाता है. जीवित किला यानी इस किले में अभी भी सैकड़ों लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रहते आ रहे हैं. जानेंगे इसकी पूरी कहानी. शुरुआत करते हैं इसके नाम और इतिहास से.
सोनार किला या गोल्डन किला भी है नामयह किला पीले बलुआ पत्थर से बना है जो सूरज की रोशनी पड़ने पर ऐसा दिखता है जैसे सोने का बना हुआ किला हो, इसलिए इसका नाम सोनार किला या गोल्डन किला भी रखा गया है. इस किले की तारीफ में कहा जाता है कि यह ऐसा दिखता है जैसे रेत के समुद्र में सोने का मुकुट रखा हो.
किले का इतिहासइस किले के इतिहास की बात करें तो 12वीं शताब्दी में राजा रावल सिंह ने 1156 में इसकी नींव रखी थी. इसे बाहरी आक्रमणों से राज्य की रक्षा के लिए बनाया गया था. जैसलमेर किले में भाटी राजपूतों और दुश्मन राज्यों के बीच कई लड़ाइयां हुई हैं. इस किले पर दुश्मनों ने कई बार कब्जा करने की कोशिश की लेकिन अपने पूरे इतिहास में इस किलो को कोई जीत नहीं सका. भारत और मध्य एशिया के बीच यह किला रेशम मार्ग के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र भी था. यूनेस्कों ने इसे विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है.
बने हैं चार प्रवेश द्वारजैसलमेर किला इस्लामी और राजपूत शैली में बना है. इसमें चार मुख्य द्वार है जिनका नाम गणेश पोल, अक्षय पोल, सूरज पोल और हवा पोल है. किले के भीतर कई गढ़ और बुर्ज भी हैं जो किले की सुंदरता को बढ़ाते हैं. इनसे रेगिस्तान का बेहतरीन व्यू मिलता है.
किले के अंदर बने हैं मंदिर और महलइस किले में कई मंदिर हैं, जिनमें जैन मंदिर काफी चर्चित है. किले में बने कई महल भी बने हैं जो कभी शाही परिवारों का निवास था. किले के भीतर बना राज महल या रॉयल पैलेस सबसे बड़ा और सुंदर महल है. यह किला अपने हवेलियों के लिए मशहूर है. ये हवेलियां धनी व्यापारियों और रईसों के लिए थी. किले के भीतर पटवों की हवेली, सलीम सिंह की हवेली और नथमल की हवेली है. किले के अंदर की सड़कें दुकानों, स्टालों और घरों से सजी हुई हैं.
सेवा से खुश होकर राजा ने प्रजा को दे दी थी रहने की जगहवर्ल्ड मोनमेंट्स फंड (WMF) वेबसाइट के 2019 के अपडेट के मुताबिक, यह भारत का इकलौता “जिंदा किला” जहां आज भी करीब 2000 से अधिक लोग रहते हैं. ये लोग अपने पुरखों की तरह ही किले में रहकर पर्यटन से जुड़े कारोबार करके अपना जीवनयापन कर रहे हैं. फिर तो इस जिंदा किलो को देखना बनता है. इसके पीछे की कहानी है कि पुराने समय में एक बार राजा अपनी प्रजाओं की सेवा से इतना खुश हुए कि उन्होंने 1500 फीट लंबा एक किला ही प्रजा को इनाम में दे दिया. आज भी उन्हीं प्रजाओं के परिवारों के वंशज यहां रहते हैं जिन्होंने राजा की सेवा की थी. वो लोग यहां फ्री में रह रहे हैं.
जैसलमेर किले का प्रवेश शुल्क और समयजैसलमेर किले में घूमने के लिए भारतीय नागरिकों के लिए 50 रुपये प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क है. विदेशियों के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति है. यह आम तौर पर सातों दिन सुबह से शाम तक खुला रहता है. यहां सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक घूम सकते हैं.
जैसलमेर किला देखने का सबसे अच्छा समयजैसलमेर किला घूमने के लिए अक्टूबर से फरवरी का समय सबसे अच्छा है. इस समय, तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो किला घूमने और जयपुर की अन्य प्रसिद्ध जगहों पर घूमने के लिए शानदार है.
जैसलमेर किले तक कैसे पहुंचें?जैसलमेर किले तक जाने के लिए पहले जैसलमेर पहुंचना होगा. सबसे नजदीक जोधपुर हवाई अड्डा है. जोधपुर से जैसलमेर तक लगभग 275 किमी की दूरी है. इसके लिए एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं. यदि ट्रेन से जाना है तो जैसलमेर रेलवे स्टेशन के लिए टिकट बुक कर सकते हैं. स्टेशन से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं. स्टेशन से 15 मिनट की दूरी जैसलमेर किला है. इसके अलावा बस और अपनी कार से भी जैसलमेर पहुंच सकते हैं.
कितनी ही कहानियां हैं हमारे आसपास. हमारे गांव में-हमारे शहर में. सामाजिक कहानी, लोकल परंपराएं और मंदिरों की कहानी, किसानों की कहानी, अच्छा काम करने वालों कहानी, किसी को रोजगार देने वालों की कहानी. इन कहानियों को सामने लाना, यही है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें व्हाट्सएप करें हमारे नंबर- 08700866366 पर.
Tags: Premium Content
FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:05 IST