Rajasthan

इस किले में बना है खास पोल, जहां से रानियां करती थीं मनोरंजन, आम लोगों को नहीं थी जाने की इजाजत

राजा महाराजाओं के जमाने में राज्य की सुरक्षा के लिए किले बनवाए जाते थे. जितना इन किलों का महत्व होता था उतना ही महत्व इन किलों के दरवाजों या प्रवेश द्वार का होता था. हालांकि, राजस्थान में कई किलों के प्रवेश द्वारा को पोल भी कहते हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध दरवाजा है गणेश पोल है. यह दरवाजा भगवान गणेश को समर्पित है इस वजह से इसका नाम गणेश पोल पड़ा. यह पोल राजस्थान के आमेर किले में बना हुआ है और इसको रानियां दरबार में होने वाले आयोजन को देखने के लिए इस्तेमाल करती थीं.

पोल में बने गणेश जी को कहते हैं बरखा गणेशआमेर किले में 9 दरवाजे हैं और सभी का अलग-अलग नाम है. किले से नीचे आते समय चौथा दरवाजा भगवान गणेश को समर्पित है. इसी को गणेश पोल कहते हैं. इसे गणेश गेट के नाम से भी जानते हैं. इस दरवाजे के पास भगवान गणेश का एक पुराना छोटा मंदिर भी है. इसमें बैठे गणेश जी को बरखा गणेश कहते हैं. गणेश जी की मूर्ति अच्छी बारिश की कामना के लिए स्थापित की गई थी.

गणेश पोल को महाराजा मान सिंह प्रथम के शासनकाल में बनवाया गया था. इसे आमेर किले के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में डिजाइन किया गया था और इसे किले में आने वाले राजघरानों और गणमान्य व्यक्तियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था. गणेश पोल में मुगल और राजपूत स्टाइल का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है.

पोल में बालकनी का इस काम के लिए होता था इस्तेमालइस पोल में आपको जालीदार बालकनी और खिड़कियां दिखेंगी. ये कोई सामान्य डिजाइन नहीं है बल्कि ये राज परिवार की महिलाओं के लिए खास उद्देश्य से बनवाई गई थीं. दरअसल, राज परिवार की महिलाओं को लोगों के बीच आने की अनुमति नहीं हुआ करती थी, इस वजह से वो इसी जाली से दरबार में होने वाले मनोरंजन का आनंद लेती थीं.

अगर आप गणेश पोल देखने जाएंगे तो आमेर या अंबर किला तो जाना ही पड़ेगा. इसलिए इस किले से भी जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जान लेते हैं. शुरुआत करते हैं किले के नाम से तो आमेर किले को अंबर किला कहे जाने की 2 कहानियां हैं. एक कहानी तो यह है कि इसका नाम देवी दुर्गा के एक रूप अम्बा के नाम पर रखा गया. क्योंकि किले के आसपास के लोग देवी दुर्गा को बहुत मानते थे इसलिए उनके नाम पर इसे अंबर किला कहा गया. दूसरी कहानी है कि इसे भगवान शंकर के एक अन्य रूप अंबिकेश्वर के आधार पर अंबर किला कहा गया.

इस किले में गणेश जी का महत्व काफी ज्यादा दिखता है. किले पर जब-जब कुछ नया निर्माण कराया गया तब-तब गणेश जी की मूर्ति रखी गई. यही वजह है कि किले में सबसे ज्यादा शंकर और दूसरे नंबर पर गणेश मंदिर बने हैं.

आमेर किले को बनवाने की शुरुआत 16वीं सदी के अंत में राजा मान सिंह ने की थी. बाद में इसे स्वाई जय सिंह द्वितीय और राजा जय सिंह प्रथम ने पूरा कराया था. मान सिंह से लेकर स्वाई जय सिंह द्वितीय और राजा जय सिंह प्रथम तक के शासन काल में इसे पूरा होने में 100 साल का समय लगा था. इस किले को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है.

किले में हुई फिल्मों की शूटिंगकिले में बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देसी रोमांस, मुगल-ए-आजम, भूल भुलैया, जोधा अकबर जैसी फिल्में भी शूट की गई हैं. किले में शिला देवी मंदिर और शीश महल घूमने वाली अच्छी जगह हैं. मुगल-ए-आजम फिल्म का गाना प्यार किया तो डरना क्या इसी शीश महल में शूट किया गया है.

इस किले में एक 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी थी जो आमेर किले के सैनिकों के लिए बने जयगढ़ किले तक जाती थी. युद्ध की स्थिति में राजा को इसी सुरंग की मदद से किले से सुरक्षित निकाला जा सकता था.

हमारे गांव में-हमारे शहर में. सामाजिक कहानी, लोकल परंपराएं और मंदिरों की कहानी, किसानों की कहानी, अच्छा काम करने वालों कहानी, किसी को रोजगार देने वालों की कहानी. इन कहानियों को सामने लाना, यही है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें व्हाट्सएप करें हमारे नंबर- 08700866366 पर.

Tags: Premium Content

FIRST PUBLISHED : August 10, 2024, 18:11 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj