धमोरा गांव के युवा निभा रहे सैकड़ों साल पुरानी परंपरा, गोगाजी धाम मंदिर में लगा है मेला
रविन्द्र कुमार/ झुंझुनूं: तीजों का त्यौहार आने के बाद राजस्थान में मेलों व त्यौहारों का सीजन शुरू हो जाता है. किसी बड़े स्तर पर ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे गांव में भी पांच सात गांव के लोग मिलकर किसी एक जगह पर इकट्ठे होकर मेले के रूप में सब संगठित होते हैं और विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. राजस्थान में एक कहावत है की ‘तीज त्यौहार बावड़ी ले डूबाती है गणगौर’ इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए राजस्थान में विभिन्न जगहों पर मेलों व त्यौहारों का आयोजन हो रहा है. झुंझुनू के गुढ़ा गोरजी कस्बे के धमोरा गांव में भी एक गोगामेड़ी धाम है जो की सैकड़ो साल पुराना बताया जाता है. वहां पर भी अभी मेले और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है.
धमोरा गांव निवासी पंचायत समिति सदस्य कमल जाखड़ ने बताया, उनके गांव में सैकड़ो साल पुराना एक गोगाजी का मंदिर है. जहां पर 2011 से लगातार धमोरा गांव ही नहीं बल्कि आसपास की पांच सात गांव के लोग एकत्रित होकर मेले का आयोजन करते है. इस मेले में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिनमें कबड्डी, कुश्ती वॉलीबॉल की प्रतियोगिताएं शामिल हैं.
2011 में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धारउन्होंने बताया कि उनके गांव में पहले गोगाजी का एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था. जहां आसपास के गांव वाले अपने बैलों व ऊंटो का मेला यहां पर आयोजित किया करते थे. उसी परंपरा को निभाते हुए गांव के युवाओं ने 2011 में फिर से मंदिर का जीर्णोद्धार किया. वह लगातार आज 2024 तक भी यहां पर मेले का आयोजन करते आ रहे हैं. जिसमें न की सिर्फ धनोरा गांव के लोग शामिल होते हैं बल्कि आसपास के गांव के लोग भी उनके द्वारा आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं. वह गोगा नवमी के दिन पर यहां पर आयोजित होने वाले मेले में लगने वाली दुकानों पर खरीदारी करते हैं.
युवा निभा रहे सैकड़ो साल पुरानी परंपरा आज भी गांव के युवा उनके सैकड़ो साल पुरानी परंपरा को निभा रहे हैं. जहां पहले पशुओं के मेले का आयोजन होता था. आज वहां उनके गांव में पशुओं के साथ में ही विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीण व प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों का हुजूम उमड़ता है जो कि गांव के लिए एक बहुत ही सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि वह आगे चाहते हैं कि उनके गांव में लगने वाला मेला प्रदेश का एक सबसे बड़ा मेला बने. इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.
FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 16:14 IST