जलझूलनी एकादशी पर कोटड़ी चारभुजा नाथ अपने भक्तों के साथ निकलते हैं नगर भ्रमण के लिए, देखें VIDEO-Occassion-of-jaljhulani-ekadashi-Chaarbhujanath-visit-city-with-his-devotee-see-the-video
भीलवाड़ा : मेवाड़ के सुप्रसिद्ध आराध्य देव श्री कोटड़ी श्याम मंदिर अपने आप में बहुत खास हैं. देश का यह इकलौता ऐसा मन्दिर हैं जहां साल में एक बार जलझूलनी एकादशी पर कोटड़ी चारभुजा नाथ अपने निज मंदिर से किसान का रूप धारण करके भक्तों के बीच पहुंचते हैं. 18 घण्टों तक नगर भ्रमण करते हैं चांदी के बेवाण में सवार भगवान के दर्शनों के लिए भीलवाड़ा हीं नहीं मेवाड़ भर से हजारों श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं. चारभुजा नाथ दिनभर भक्तों के साथ नगर भ्रमण करते हैं बाद में सरोवर पर स्नान करने के साथ ही विशेष पूजा अर्चना के बाद अपने मंदिर पहुचते हैं. जलझूलनी एकादशी पर भगवान चारभुजा के दर्शनों के लिए हजारों और लाखों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ते हैं. ढोल नंगाडों के साथ निकले बेवाण के दर्शन कर चारभुजा नाथ की पूजा अर्चना करते हैं.
मंदिर पुजारी श्रवण पाराशर कहते हैं कि यह भीलवाड़ा के कोटड़ी में स्थित कोटड़ी चारभुजा नाथ मंदिर रियासत काल से बना हुआ मंदिर है वैसे तो भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचने हैं लेकिन साल में एक दिन ऐसा आता है जब जल झूलनी एकादशी पर ठाकुर जी महाराज भक्तों के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं.18 घण्टों तक भक्तों के बीच रहते हैं भगवानश्री चारभुजा नाथ कोटड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाडोदिया ने कहा कि प्रति वर्ष जलझुलनी एकादशी को भगवान चारभुजा नाथ बेवाण में विराजमान होकर भक्तों के कंधों पर दोपहर 3 बजे रवाना होकर दुसरे दिन सुबह: अपने मंदिर में विराजमान होगें. इस दौरान नगर भ्रमण के बाद सरोवर पर जलझूलन करते है और भक्त उसका आनंद लेते है. इसमें हजारों और लाखों की तादाद में श्रद्धालु पैदल यात्रा करके पहुंचते है. जिनके लिए भक्तों द्वारा लंगर भी लगाएं जाते है हमारी भगवान चारभुजानाथ से यही कामना है कि उनकी प्रति जो लोगों की श्रद्धा है उसे बनाएं रखे.
भक्त जमना लाल डिडवानिया ने कहा कि भगवान चारभुजा नाथ चांदी के रथ में सवार होकर नगर भ्रमण को निकलेगे. शाम को भगवान चारभुजा नाथ सरोवर में जलझूलन करेगें और उसके बाद नगर में होते हुए सुबह निज धाम पहुंचेगें. इस दोरान कस्बे में हर घर के बाहर भक्तों द्वारा ठाकूर जी की आरती की जाती है.
भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 31 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोटड़ी में भगवान श्री चारभुजा नाथ मंदिर की स्थापना महाराणा कुंभा के पौत्र महाराणा रायमल ने की थी. सर्वप्रथम यहां अपने पशुओं को चराने के लिए भ्रमण करता हुआ ढुंढाड़ क्षेत्र ( दुनीनिवासी ) टीका जाट (अडाणी जाट ) ने अपने परिवार सहित इस स्थान को पानी की पर्याप्ता व ऊंचा स्थान देखकर डेरा डाला था. बाद में अडाणी जाट के कारण इसको डाणियों की कोटडी नाम पड़ा.
मंदिर द्वार पर स्थित शिव मंदिर में एक नाथ संप्रदाय के संत धूनीरमा कर रहते थे. उनके देहावसान के बाद इसी स्थान पर उन्हें दफनाया गया और वहां शिवलिंग की स्थापना गई. यही मंदिर मसानेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा, मंदिर में चारभुजा नाथ की प्रतिमा शाहपुरा के प्रसिद्ध शिल्पकार ने बनाई थी. श्री चारभुजा नाथ का यह धाम सभी धर्मों के आस्था का केंद्र है और लाखों की तादाद में यहां पर श्रद्धालु आते है.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 22:17 IST