kerch strait dispute: पुतिन-जेलेंस्की एक पुल के लिए क्यों भिड़े? ICJ तक पहुंचा मामला, जानें क्या है केर्च जलसंधि विवाद
रूस और यूक्रेन तीन साल से जंग लड़ रहे हैं. मिसाइलों-बमों और रॉकेटों से अटैक कर रहे हैं. लेकिन सिर्फ जमीन पर ही नहीं, दोनों कोर्ट में भी आमने सामने हैं. मामला एक पुल का है. यूक्रेन का आरोप है कि रूस केर्च जलडमरूमध्य को पूरी तरह अपने कब्जे में रखने की कोशिश कर रहा है. यह समुद्री कानूनों का सरेआम उल्लंघन है. सोमवार को दोनों देश इंटरनेशनल कोर्ट में आमने सामने थे. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है ये केर्च जलसंधि विवाद? क्यों यह जगह रूस और यूक्रेन के लिए इतना मायने रखती है.
यूक्रेन के वकील एंटोन कोरिनेविच ने सुनवाई की शुरुआत में कहा, रूस आजोव सागर और केर्च जलसंधि को पूरी तरह अपने कब्जे में लेना चाहता है. उसे यह आजादी नहीं दी जा सकती. यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब रूस ने केर्च जलसंधि में 19 किलोमीटर लंबा पुल बनाना शुरू किया. यह पुल रूस को क्रीमिया से जोड़ता है. क्रीमिया को रूस ने यूक्रेन से छीना है. इसी बात को लेकर यूक्रेन बार-बार परेशान होता है. इसी पुल के रास्ते क्रीमिया को ईंधन, खाद्यान्न और अन्य उत्पादों की आपूर्ति होती है. अब यहीं से रूसी सेना अपने सैनिकों के लिए रसद भेज रही है. अगर यह पुल बंद हो जाए तो रूस के लिए यूक्रेन जंग में काफी मुश्किल हो जाएगी.
यूक्रेन का क्या कहना?यूक्रेन ने कुछ दिनों पहले इस पुल पर अटैक कर दिया था. जेलेंस्की चाहते हैं कि इस पुल को गिरा दिया जाए. उसका दावा है कि रूस ने जानबूझकर इसे कम ऊंचाई पर बनाया है, ताकि दुनियाभर से आने वाले जहाज इसके नीचे से न गुजर पाएं. सिर्फ छोटे रूसी जहाज ही इस रास्ते से निकल पाएं. यह रास्ता आजोव सागर को काला सागर से भी जोड़ता है. रूस के वकील गेनाडी कुजमिन ने यूक्रेन के इस तर्क का पुरजोर विरोध किया. कहा, यह रूस का इलाका है और दुनिया की कोई भी अदालत इस पर फैसला नहीं दे सकती. यूक्रेन के दावे को खारिज कर दिया जाना चाहिए.
रूस का क्या दावा?रूस का कहना है कि यूक्रेन क्रीमिया की संप्रभुता पर बंदिश लगाना चाहता है. यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. कोर्ट 2020 में फैसला सुना चुका है कि रूस का दावा ही सही है. सुनवाई 5 अक्तूबर तक चलेगी. लेकिन शायद इस मामले में आखिरी निर्णय तक पहुंचने में वर्षों लग जाए. क्योंकि इतने जवाब सवाल होते हैं और आखिर में कोई निर्णय नहीं आ पाता.
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 23:40 IST