Karauli News : मराठाओं और राजपूती फौज की युद्ध भूमि रहा है रणगमां ताल, 4 दशक बाद हुआ पानी से लबालब

करौली. राजस्थान के करौली में इस बार होने वाली रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने रियासत कालीन रणगमां तालाब का स्वरूप बिल्कुल बदल दिया है. बीते दिनों हुई भारी बारिश से यह ताल ऊपर तक भर आया है. हालांकि, इस मानसूनी सीजन की रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने रणगमां ताल की खूबसूरती में भी दरार डाली है. ऐसा पहली बार हुआ है जब तेज बारिश के कारण इस प्राचीन ताल की पाल क्षतिग्रस्त हो गई है. यह ताल करौली की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. अपनी चारों दिशाओं में प्राकृतिक नजारें समेटे रहने के कारण इस ताल की ख्याति भी दूर-दूर तक फैली हुई है.
रणगमां ताल पर न केवल बरसाती सीजन में बल्कि वर्षभर ही पर्यटकों भारी भीड़ देखने को मिलती हैं. लेकिन इस साल रणगमां ताल की ऊपरी सतह तक पानी आने के कारण, इस ऐतिहासिक ताल ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है.
प्राचीन जलभराव की विधि है यह तालस्थानीय निवासी लवेश व्यास का कहना है करौली के परिक्षेत्र में ऐसा अद्भुत और एक प्राचीन जल भराव की विधि के साथ यह ताल जल संरक्षण का एक अनुपम उदाहरण तो है ही इसके अलावा हमारे राज्य परिवार द्वारा करौली क्षेत्र को दिया गया एक अनुपम उपहार भी है रणगमां ताल, प्राचीन काल से इस ताल पर घूमने की अच्छी व्यवस्था रही है. इस ताल पर पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते है.
दूर-दूर तक पहचान बनाए हुए हैं यह ताल करौली के वरिष्ठ इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा के बताते है कि पर्यटन की दृष्टि से यह ताल दूर-दूर तक अपनी पहचान बनाए हुए है. लगभग 200 साल पहले इस ताल का निर्माण राजा प्रताप पाल द्वारा कराया गया था. शिल्प कला के साथ इस ताल की वास्तुकला अपने आप में देखने लायक है. शर्मा बताते हैं कि इस ताल के निर्माण का जों ऐतिहासिक तथ्य है वह ये कि सैकड़ों साल पहले यहां मराठाओं और करौली की सेना के बीच भीषण युद्ध हुआ था. इसलिए रणगमां ताल को मराठों और करौली की फौज की युद्ध भूमि भी कहा जाता है.
इतिहासकार शर्मा के अनुसार इस युद्ध में करौली के सैकड़ो वीर सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए जान गवाही थी. ऐसी स्थिति में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति चढाने वाले सैनिकों की स्मृति में इस ताल का निर्माण कराया गया और इसको नाम भी रणगमां ताल का दिया गया.
शर्मा के मुताबिक पानी की दृष्टि की आवक से रणगमां ताल अपने आप में महत्वपूर्ण है. यह ताल चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इसलिए इसमें पहाड़ियों से भी पानी आता है. इतिहासकार शर्मा का कहना है कि वैसे तो यह ताल हमेशा ही पानी से भरा हुआ रहता है. लेकिन इस बार की बारिश ने इस ताल का स्वरूप बिल्कुल बदल दिया है. शर्मा का कहना है कि 40 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब यह ताल ऊपर तक भर आया है और पानी से एकदम लबालब है.
इस ताल में बैठने के लिए अंदर कई गुंबद और सीढ़ियां बनी हुई है. जिन पर प्राचीन समय से ही लोग बैठते हुए आ रहे है. लेकिन इस साल भारी मात्रा में पानी आने के कारण रणगमां ताल की सारी सीढ़ियां और गुंबद डूब गई है. इसीलिए इस साल होने वाली बारिश के बाद रणगमां ताल का एक नया रूप लोगों के सामने आया है.
ताल की उत्तर दिशा में बनी हुई है एक मोरीइतिहासकार शर्मा का कहना है कि इस ताल को ओवरफ्लो से बचाने के लिए उत्तर दिशा में एक मोरी भी रियासत कालीन समय में ताल के निर्माण के दौरान ही बनाई थी. आज भी ओवरफ्लो की कगार पर पहुंचने पर इस ताल का पानी मोरी से निकलते हुए करौली शहर की तरफ होकर नदी में मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 18:34 IST