In Kota, a person first donated his body in the medical college and then performed Pind Daan, Shraddha Tarpan of himself

कोटा:- रामलीला में रावण का पात्र करने के दौरान राम के हाथों कईं बार मृत्यु का वरण करते-करते सांसारिक मोह माया से ऐसी विरक्ति आई कि देहदान करने के लिए मेडिकल कॉलेज ही पहुंच गए. रामलीला में रावण बनने वाले ग्राम मोरपा निवासी 51 साल के काश्तकार रामेश्वर यादव ने मेडिकल कॉलेज में देहदान किया. देहदान की सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद रामेश्वर यादव ने कर्मयोगी सेवा संस्थान के मुख्यालय पर संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी की प्रेरणा से स्वयं का अपने ही हाथों जीवित ही पिंडदान और तर्पण भी कर दिया. इसके बाद ब्राह्मणों को भोज भी करवाया.
परिवार में इतने सदस्यरामेश्वर यादव ने लोकल 18 को बताया कि मेडिकल कॉलेज पहुंचकर अपनी मृत्यु उपरांत देहदान की इच्छा व्यक्त की गई थी, जिस पर देहदान फॉर्म भरते हुए प्रक्रिया पूर्ण की. रामेश्वर यादव की अपनी कृषि भूमि है. परिवार में चार बेटियां, चार बहनें, दो भाई से भरा पूरा परिवार है. वे साल 1985 से मोरपा ग्राम में होने वाली रामलीला में रावण की भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं.
विधि-विधान से किया पिंडदानउन्होंने Local 18 को आगे बताया कि हर साल प्रभु श्री राम के हाथों मृत्यु का वरण करते हुए सांसारिक माया मोह खत्म होता चला जा रहा है. अपनी आंखों के सामने अपने कितने ही दिवंगत परिजनों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया देखकर उन्हें लगने लगा कि इससे ज्यादा अच्छा है कि मृत देह का उपयोग मानव हित में ज्यादा से ज्यादा लोगों के काम आए. इसी भावना को अंगीकार करते हुए परिवार से सहमति लेते हुए देहदान फॉर्म भरते हुए पंडित के द्वारा विधि-विधान के साथ स्वयं अपने हाथों से अपना पिंडदान, श्राद्ध तर्पण कर ब्राह्मणों को भोजन करवाया है.
FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 14:41 IST