Sirohi News : क्या आप भी खेतों में नकली डीएपी खाद उपयोग तो नहीं कर रहे हैं, ऐसे करें असली डीएपी की पहचान

सिरोही : फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान डीएपी खाद का उपयोग करते हैं. डीएपी खाद काफी प्रचलित खाद है, क्योंकि ये फॉस्फ़ोरस और नाइट्रोजन से भरपूर होता है. कई जगहों पर नकली डीएपी खाद की भी शिकायतें देखने को मिल रही है. ऐसे में एक किसान को असली डीएपी और नकली डीएपी खाद की जानकारी होना जरूरी है. किसान अगर इन चीजों को चैक कर लेंगे, तो कुछ मिनटों में ही असली और नकली खाद की पहचान कर सकेंगे. असली डीएपी खाद की पहचान को लेकर कृषि विभाग की आबूरोड सहायक कृषि अधिकारी विभा सक्सेना ने लोकल-18 से विशेष बातचीत की.
कृषि अधिकारी विभा सक्सेना ने बताया कि किसान को नकली खाद से बचने के लिए अपने नजदीकी सहकारी समिति से डीएपी प्राप्त करना चाहिए. डीएपी के कुछ दानों को चूना मिलाकर मसलने पर उसमें से तेज गंध आती है. जिसको सूंघना मुश्किल हो जाता है. असली डीएपी के दाने भूरे रंग के होते है और ठोस होते हैं, जो आसानी से नाखून से नहीं टूटते हैं. इसे पत्थर से तोड़ना पड़ता है. कुछ दानों को अगर गर्म किया जाए, तो असली डीएपी के दाने गर्म होने के साथ फूलने लगते हैं. विभाग द्वारा सहकारी सोसायटियों को डीएपी, यूरिया आदि खाद-बीज के वितरण के लिए अधिकृत किया गया है. जिनकी विभाग के अधिकारी समय-समय पर जांच और निरीक्षण करते हैं. इसके अलावा भी कई निजी विक्रेता खाद-बीज बेचते हैं.
फसल को नहीं मिलता फायदा, नुकसान का भी खतराकई गांवों में कुछ निजी लोगों द्वारा भी किसानों को सीधे खाद बेची जाती है, जो कई बार नकली निकलती है. ऐसे में नकली खाद की वजह से नुकसान भी हो जाता है. कृषि विभाग की एएओ ने बताया कि नकली खाद का उपयोग करने से किसान को फसल में डीएपी जितना फायदा नहीं मिलता है. वहीं कई फसलों में दुष्परिणाम के रूप में फसल के खराब होने का भी खतरा रहता है.
FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 21:40 IST