’मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा’, टेसू-झांझी की अमर प्रेम कहानी, महाभारत से जुड़ा है इतिहास
धौलपुर:- टेसू-झांझी को लेकर महाभारत काल की एक कथा भीम के पौत्र बर्बरीक को लेकर प्रचलित है. इसमें टेसू बर्बरीक का और झांझी उनकी होने वाली पत्नी का प्रतीक है. यह कहानी टेसू और झांझी के अधूरे प्रेम की है. इस दौरान टेसू-झांझी के विवाह में सारी रस्में निभाई जाती है, लेकिन सातवें फेरे से पहले टेसू का सिर उखाड़ दिया जाता है. वहीं झांझी भी अंत में पति वियोग में सती हो जाती है. प्रेम के प्रतीक इस विवाह में प्रेमी जोड़े की विरह को बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया जाता है. टेसू-झांझी की इस परंपरा को आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जिंदा रखे हुए हैं.
आज के बदलते परिवेश व डिजिटल युग में टेसू व झांझी इतिहास की एक धुंधली कहानी बनकर रह गया है. हालांकि विलुप्त हो रही इस प्राचीन परंपरा को आज भी देहात क्षेत्र के बच्चे जीवित बनाए हुए हैं. एक दशक पहले हर साल शहर की गलियों में जब छोटे बच्चे और बच्चियां टेसू-झांझी लेकर घर-घर निकलते थे, गाना गाकर चंदा मांगते थे, तो कोई एक परिवार झांझी के लिए जनाती और दूसरा परिवार टेसू की तरफ से बराती होता था. लेकिन अब यह परंपरा शहरों से विलुप्त होती जा रही है. लेकिन वर्तमान में इसका असर केवल ग्रामीण अंचल में ही दिखाई देता है. इस अनोखे उत्सव का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा तक होता है.
बच्चे तुकबंदी में गाते हैं गानानवरात्रि समापन से घर-घर टेसू-झांझी का पूजन शुरू हो जाता है. पूर्णिमा को धूमधाम से टेसू व झांझी का विवाह संपन्न कराने के बाद दोनों का गंगा तट या नहर में जाकर विसर्जन कर दिया जाता है. शाम होते ही बच्चों की टोलियां हाथों में टेसू और झांझी को लेकर गली-मोहल्लों में ’मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा’ और ’टेसू रे, टेसू घंटारो बजैयो, नौ नगरी दस गांव बसइयो’ जैसे तुकबंदी से गाए जाने वाले गानों की धूम देखने को मिलेगी. छोटे-छोटे बच्चे घर-घर दस्तक देकर गीत गाते हुए बदले में अनाज व पैसा मांगते हैं.
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टेसू झेंझी विवाह की पौराणिक मान्यताएक वरदान के अनुसार, सबसे पहले टेसू का विवाह होगा, फिर उसके बाद ही कोई विवाह उत्सव की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेगा. मान्यता के अनुसार भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को महाभारत का युद्ध में आते समय झेंझी से प्रेम हो गया. उन्होंने युद्ध से लौटकर झेंझी से विवाह करने का वचन दिया, लेकिन अपनी मां को दिए वचन के चलते वह कौरवों की तरफ से युद्ध करने आ गए और श्री कृष्ण ने उनका सिर मांग लिया. लेकिन बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की अपनी इच्छा व्यक्त की. तब श्री कृष्ण ने उनके सिर को एक ऊंचे पर्वत पर तीन लकड़ी के डंडों पर रख दिया. इसी कारण टेसू की तीन टांगें बनाई जाती हैं. इसके साथ-साथ बर्बरीक ने अपना विवाह न होने की बात भी भगवान श्री कृष्ण के सामने रखी. इस कारण भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि हर साल सर्वप्रथम तुम्हारा विवाह ही संपत्र होगा, उसके पश्चात ही कोई विवाह के शुभकार्य प्रारंभ होंगे.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 14:38 IST
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