भरतपुर: इस करवा चौथ शहरवासियों के लिए चीनी के करवे बने आकर्षण का केंद्र, जानिए खासियत
मनीष पुरी/ भरतपुर: करवा चौथ का त्योहार आज है. इस मौके पर बाजारों में सजावट और पूजा की वस्तुओं की डिमांड बढ़ी है. भरतपुर के बाजारों में खासतौर से चीनी के करवे विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. भरतपुर के विभिन्न क्षेत्रों में इन करवों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है और इन्हें बनाने की प्रक्रिया बेहद रोचक और जटिल होती है, जिसमें कई चरणों से गुजरना पड़ता है.
चीनी के करवे बनाने की जटिल प्रक्रियाभरतपुर के कारीगरों ने लोकल 18 को बताया कि चीनी के करवे बनाने के लिए सबसे पहले चीनी को पिघलाया जाता है और इसे एक खास तापमान पर रखा जाता है ताकि यह सही ढंग से सेट हो सके. इसके बाद लकड़ी के विशेष सांचे तैयार किए जाते हैं, जिनमें पिघली हुई चीनी डाली जाती है. सांचे तैयार करना बेहद महत्वपूर्ण और निपुण कार्य है, क्योंकि इनकी बनावट से करवे का आकार और डिजाइन तय होता है.
सांचों में आमतौर पर पारंपरिक भारतीय कलाकृति और धार्मिक प्रतीकों की आकृतियां होती हैं, जो करवे को सुंदर और पवित्र बनाती हैं. चीनी को सांचे में डालने के बाद इसे ठंडा होने दिया जाता है, जिसके बाद यह जमकर करवे का रूप ले लेती है. फिर करवे को सांचे से निकालकर पंखे के नीचे ठंडा किया जाता है और इसके बाद इन्हें पैक कर बाजार के लिए भेजा जाता है.
भरतपुर की पारंपरिक शिल्पकला का महत्वपूर्ण हिस्साभरतपुर में इस पारंपरिक कला का खास महत्व है. यह न केवल करवा चौथ की पूजा के लिए आवश्यक है, बल्कि स्थानीय कारीगरों के लिए आजीविका का प्रमुख साधन भी है. करवा चौथ के अवसर पर चीनी के करवों की मांग काफी अधिक होती है, जिससे यह व्यवसाय फलता-फूलता है. इस जटिल प्रक्रिया के माध्यम से भरतपुर की पारंपरिक शिल्पकला और स्थानीय हुनर हर साल त्योहारों के दौरान बाजारों में अपनी अनोखी छाप छोड़ते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 14:03 IST