संभल मस्जिद के बाद अजमेर दरगाह का होगा सर्वे? सबूत में पेश की गई खास किताब, दावा- वहां था शिव मंदिर
अजमेरः (रिपोर्टः अशोक सिंह भाटी) ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह के शिव मंदिर होने के दावे वाले केस में मंगलवार को सुनवाई हुई. हिंदू सेना की तरफ से दरगाह की जगह भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया गया था, जिसमें एक खास किताब को साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया. 1910 में पब्लिश हुई किताब में यह दावा किया गया है कि वहां हिंदू मंदिर था. फिलहाल मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 27 नवंबर की तारीख तय की है. जिसमें आगे यह तय किया जाएगा कि इस केस पर आगे सुनवाई की जाए या नहीं. हिंदू पक्ष की तरफ से एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) सर्वे की मांग की गई है. यदि केस में सर्वे का आदेश आता है, तो संभल मस्जिद के बाद यहां सर्वे किया जा सकता है.
अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर बताने का दावा मामले में मंगलवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में सुनवाई की गई. जहां न्यायालय ने वाद चलने और नहीं चलने को लेकर 27 नवंबर की तारीख तय की है. यह मामला हिंदू सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से लगाया गया. जिसमें गुप्ता ने बताया कि अजमेर दरगाह पहले हिंदू संकट मोचन मंदिर हुआ करता था. इसके साक्ष्य और प्रमाण भी उन्होंने दावे में दिए हैं. जिस पर बताया गया कि 1910 में हर विलास शरदा की पुस्तक आई थी जिसमें भी इसके प्रमाण मिले हैं.
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ऐसे ही अलग-अलग दस्तावेज न्यायालय के समक्ष दिए गए हैं और मांग की गई है कि अजमेर दरगाह का एएसआई से सर्वे करने के साथ ही दरगाह की मान्यता रद्द कर हिंदू समाज को मंदिर में पूजा अर्चना का अधिकार दिया जाए. ऐसे में मीडिया से बातचीत करते हुए विष्णु गुप्ता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 27 नवंबर को 11:00 बजे इस मामले में उनके पक्ष में फैसला आएगा. दरगाह के पक्षकारों को नोटिस जारी कर सर्वे की मांग पूरी होगी. इसके बाद सभी के सामने स्थिति स्पष्ट होगी, लेकिन अब कल न्यायालय तय करेगा कि यह बात चलने लायक है या नहीं इसे लेकर तैयारी की जा रही है.
क्या हैं हिंदू सेना की मांगेंहिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि अजमेर दरगाह भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर है. अब इसे मंदिर ही घोषित किया जाए. इसके साथ ही साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए. इसका एएसआई सर्वे कराया जाए. जिसके बाद मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति भी मांगी गई है.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 18:23 IST