अजमेर दरगाह विवाद पर बढ़ रहा बवाल गरमा रही सियासत, अब दरगाह दीवान और अंजुमन कमेटी ने रखे ये फैक्ट
अशोक सिंह भाटी.
अजमेर. अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा किए जाने के बाद इस मामले को लेकर अब सरगर्मियां बढ़ती जा रही है. हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के बाद कोर्ट की ओर से संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करने के निर्देशों के बाद अब दरगाह दीवान जेनुअल आबेदीन ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि दरगाह के नीचे पहले कोई मंदिर नहीं बल्कि यहां मैदान हुआ करता था. सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए लगातार इस तरह के वाद लगाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस तरह की अपीलों पर लगाम लगानी चाहिए.
दरगाह दीवान जेनुअल आबेदीन शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी दरगाह मस्जिद के नीचे मंदिर बता रहा है. यह गलत है. वाद लगाने वाले की भी जांच होनी चाहिए. वादी ने ख्वाजा गरीब नवाज की वंशज को भी पक्षकार नहीं बनाया है. अभी सर्वे के लिए नोटिस नहीं दिया गया. जबरन माहौल खराब किया जा रहा है.
अजमेर दरगाह का मुगलों से कोई लेना-देना नहीं हैउन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह का मुगलों से कोई लेना-देना नहीं है. ख्वाजा गरीब नवाज 1100 ईसवी में आये थे और 1236 में उनका इंतकाल हुआ था. जबकि मुगल 1500 ईस्वी में आए थे. इसके पूरे दस्तावेज मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह को लेकर भी भारत सरकार की किताबों में उल्लेख है. भारत सरकार के मंत्रालय को पक्षकार बनाया तो वही सही जवाब देंगे.
हम भी 30 करोड़ हैं, दबाना सही नहीं हैदरगाह दीवान जेनुअल आबेदीन के बाद अंजुमन दरगाह कमेटी सचिव सरवर चिश्ती ने भी मीडिया से रू-ब-रू होकर कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह आध्यात्मिक जगह है. यहां राजनीतिक बयानों और जातिविधियों का कोई स्थान नहीं है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में सभी धर्म और संप्रदाय के लोग आते हैं. यहां से शांति और सद्भाव का पैगाम दुनियाभर में जाता है. वरशिप एक्ट सभी जगह लागू होना चाहिए. हर कोई आकर किसी भी धार्मिक स्थान पर वाद लगा देता है यह ठीक नहीं है. देश में सभी धर्म के लोग रहते हैं. हम भी 30 करोड़ हैं. उन्हें दबाने का प्रयास सही नहीं है.
FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 16:14 IST