Mansingh Had Brought Skilled Artists Of Meenakari From Lahore – मानसिंह लाहौर से लाए थे मीनाकारी के कुशल कलाकार

आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल’ के लिए आयोजित वर्कशॉप में रूचिन गोयल रूबरू

जयपुर. मीनाकारी पेंटिंग वर्क कैनवास, वुडन, मैटेलिक, सिरेमिक किसी भी फ्लेट सरफेस पर की जा सकती है। इसके लिए अत्यधिक धैर्य की आवश्यकता होती है। यह कहना है, उत्तराखंड की युवा कलाकार रूचिन गोयल का। रूचिन राजस्थान स्टूडियों की सहायता से आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल’ के लिए आयोजित ऑनलाइन मीनाकारी वर्क वर्कशॉप में प्रतिभागियों को संबोधित कर रही थी। इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव-सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत से किया गया। रूचिन ने बताया कि आमेर के राजा मानसिंह ने लाहौर से कुशल मीनाकारों को आमंत्रित कर जयपुर में बसाया था। जयपुर के अतिरिक्त दिल्ली और बनारस भी मीनाकारी के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। उन्होंने आगे कहा कि मीनाकारी पैटर्न में मुख्य रूप से पक्षियों, फूलों एवं पत्तियों के आकर्षक रूपांकनों का उपयोग किया जाता है।वर्कशॉप के दौरान रूचिन ने प्रतिभागियों को मीनाकारी पीकॉक बनाना सिखाया। उन्होंने सर्वप्रथम वुडन एमडीएफ बोर्ड पर वाईट पेंट का डबल कोट किया और येलो कार्बन की सहायता से डिजाइन को ट्रेस किया। इसके बाद उन्होंने मैटलिक गोल्ड कलर से डिजाइन की आउटलाईनिंग की और फिर सी-ग्रीन, अल्ट्रामरीन ब्लू, पीकॉक ब्लू, रेड, येलो, आदि वाटरबेस्ड ग्लास कलर का उपयोग कर अत्यंत आकर्षक मीकाकारी पेंटिंग तैयार की। इसके बाद उन्होंने गोल्डन, ग्रीन और ब्लू कलर के कुंदन स्टोन्स को फेविकोल की सहायता से पेंटिंग में लगा कर इसे डेकोरेट किया। उन्होंने वर्कशॉप के दौरान अपने पूर्व में किये गये मीनाकारी वर्क भी प्रदर्शित किए।